Sukhpal Singh Khaira Slams PM Narendra Modi: लोकसभा चुनाव 2024 अब अपने अंतिम दौर में है। 5 फेज की वोटिंग हो चुकी है। अब 25 मई को छठे फेज और 1 जून को सातवें आखिरी फेज में वोटिंग होगी। आखिरी फेज में पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव होंगे। मतदान की तारीख नजदीक आते-आते यहां सरगर्मियां बढ़ गई हैं। स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा हावी होने लगा है। पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार, 21 मई को बिहार में थे। उन्होंने कांग्रेस नेता और संगरूर सीट से उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा का नाम लिए बगैर उनके बयान पर पलटवार किया। 

पीएम मोदी ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस के नेता पंजाब में बिहार के लोगों का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ बिहार में कांग्रेस और आरजेडी मिलकर बिहार के लोगों से वोट मांग रहे हैं। लेकिन कांग्रेस नेता के बयान पर किसी वरिष्ठ नेता ने कोई सवाल नहीं उठाया। 

खैरा ने क्या दिया था बयान?
दरअसल, सुखपाल सिंह खैरा ने एक चुनावी सभा में यूपी, बिहार, हिमाचल, गुजरात और अन्य राज्यों के गैर पंजाबी लोगों के लिए प्रदेश में जमीन खरीदने, मतदाता बनने, सरकारी नौकरी देने पर रोक लगाए जाने के लिए कानून बनाने की वकालत की थी। इस विवादित बयान के बाद सुखपाल खैरा का विरोध तेज हो गया। अब उन्होंने एक बार फिर कानून की पैरवी करते हुए पीएम मोदी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। 

सुनिए सुखपाल सिंह खैरा ने क्या कहा?

अब सफाई में क्या बोले सुखपाल सिंह खैरा?
सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि मुझे बड़ा दुख हुआ जब पीएम मोदी ने बिहार की रैली में यह बोल दिया कि पंजाब के कांग्रेस नेता बिहार के लोगों का बॉयकाट कर रहे हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अगर कोई गैर-पंजाबी पंजाब में रहना चाहता है, वह पैसे कमाना चाहता है, वह परिवार पालना चाहता तो उनका स्वागत है। लेकिन, अगर वे (गैर-पंजाबी) बसना चाहते हैं स्थायी आधार पर तो उन्हें 'हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1972' की तर्ज पर पंजाब में बनने वाले अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। हम किसी गैर पंजाबी के खिलाफ नहीं हैं। पीएम मोदी को गुजरात के कच्छ के बारे में भी बताना चाहिए। 

क्या है हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1972?
दरअसल, हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1972  (Himachal Pradesh Tenancy and Land Reforms Act 1972) लागू है। यहां बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं। प्रदेश में धारा 118 के तहत जमीन के मालिकाना हक को लेकर बहुत ही कड़े नियम कानून हैं। इस एक्ट में धारा 118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध है। मतलब हिमाचल का गैर-कृषक भी हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता। 

और क्या-क्या प्रावधान?

  • धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी जरिए (सेल डीड, गिफ्ट, लीज, ट्रांसफर, गिरवी आदि) से जमीन नहीं दे सकता।
  • भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2 (2) के अनुसार, जमीन का मालिक वही होगा जो हिमाचल में अपनी जमीन पर खेती करता है। 
  • ऐसा व्यक्ति जो किसान नहीं है और हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है उसे मौजूदा सरकार से इसकी परमीशन लेनी होगी।  
  • जमीन का लैंड यूज चेंज भी नहीं किया जा सकता। मतलब जमीन अगर किसी अस्पताल के लिए ली गई तो उस पर अस्पताल ही बनेगा।  
  • लीज को लेकर भी हिमाचल में कड़े नियम हैं। लीज या फिर पावर ऑफ अटॉर्नी की जमीन भी किसी हिमाचली के नाम पर ही होगी। लीज के वक्त को घटाकर 99 वर्ष से 40 साल कर दिया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था मामला
फरवरी 2023 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। सर्वोच्च अदालत ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि हिमाचल प्रदेश में केवल किसान ही जमीन खरीद सकते हैं। अन्य लोगों को राज्य में जमीन खरीदने के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। जस्टिस पीएस सिम्हा और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि 1972 के भूमि सुधार अधिनियम का उद्देश्य गरीबों की छोटी जोतों (कृषि भूमि) को बचाने के साथ-साथ कृषि योग्य भूमि को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए बदलने की जांच करना भी है।