Consumer Price Index 2024:भारत में रिटेल महंगाई में बीते महीने उछाल देखी गई। दिसंबर में महंगाई दर 5.69 % के स्तर पर पहुंच गई। यह बीते चार महीने का उच्चतम स्तर रहा। महंगाई में यह बढोतरी खाने पीने की चीजों की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। सरकार की ओर से शुक्रवार को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) जारी किया गया। इसके मुताबिक बीते साल दिसंबर में खाद्य पदार्थों की रिटेल महंगाई दर 9.53 % पर पहुंच गई जो कि नवंबर में 8.7% थी।
क्यों बढ़ी खुदरा महंगाई दर?
देश में खुदरा महंगाई दर बढ़ने की मुख्य वजह खाने पीने के कई सामन की कीमतों में आई उछाल रही। दिसंबर में फल और सब्जियों की कीमतें बढ़ीं। वहीं, अनाज और चीनी की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई। दाल की कीमतों में आई उछाल ने भी महंगाई दर में इजाफा करने में अहम भूमिका निभाई। पिछले साल सितंबर में महंगाई दर 5.02 प्रतिशत रह था। अक्टूबर में यह घटकर 4.87% पर आ गई। नवम्बर में महंगाई दर 5.55% रही थी।
महीना | रिटेल महंगाई दर |
---|---|
अप्रैल | 4.70% |
मई | 4.25% |
जून | 4.81% |
जुलाई | 7.44% |
अगस्त | 6.83% |
सितंबर | 5.02% |
अक्टूबर | 4.87% |
नवंबर | 5.55% |
दिसंबर | 5.69% |
ईंधन और बिजली की महंगाई दर में कमी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से हर साल महंगाई दर को लेकर जानकारी दी जाती है। राहत की बात यह है कि ईंधन और बिजली की महंगाई में कमी देखी गई है। नवंबर में ईंधन और बिजली महंगाई दर -0.77% थी जो कि दिसंबर में -0.99% हो गई। देश में औद्योगिक उत्पादन 2.4 % बढ़ा है। दिलचस्प बात यह है कि दिसंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़ने के बावजूद यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से तय दायरे के भीतर रहा। RBI की ओर से सरकार को महंगाई दर 2 से 6 % के बीच रखने के लिए कहा गया है।
गांवों में भी बढ़ी महंगाई
ग्रामीण इलाकों में भी महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है। नवंबर में ग्रामीण महंगाई दर 5.85 % थी जो कि दिसंबर में बढ़कर 5.93% हो गई। वहीं शहरों की बात करें तो यह नवंबर महीने में 5.26% थी जोकि दिसंबर में बढ़कर 5.46 % हो गई। अक्टूबर से दिसंबरा के बीच औसत महंगाई दर 5.37 प्रतिशत के स्तर पर रही।
महंगाई का डिमांड-सप्लाई कनेक्शन
महंगाई का सीधा कनेक्शन डिमांड और सप्लाई से है। अगर बाजार में किसी चीज की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में होगी तो महंगाई कम रहेगी। वहीं, अगर किसी चीज की मांग ज्यादा है लेकिन वह बाजार में पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पा रही है तो महंगाई बढ़ेगी। सरकार का काम है कि वह बाजार में होने वाले डिमांड और सप्लाई पर नजर रखे। इसे आरबीआई की ओर से तय किए गए दायरे में रखे।
क्या होती है महंगाई दर?
महंगाई दर किसी भी चीज की कीमत पर लगने वाले असल मूल्य और उसके बिक्री मूल्य के बीच का अंतर है। किसी भी चीज की कीमत से महंगाई दर को घटाने पर उसकी वास्तविक कीमत हासिल की जा सकती है। महंगाई दर बढ़ने पर निवेश पर किए गए खर्च का मूल्य कम मिल सकता है। इसलिए महंगाई दर आम लोगों को सीध प्रभावित करती है।