Delhi Pollution SC Hearing: दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण पर शुक्रवार, 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने दिल्ली सरकार काे प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि 113 एंट्री पॉइंट्स में से सिर्फ 13 पर ही सीसीटीवी क्यों लगाए गए हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और सरकार को ट्रकों की एंट्री रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने बार एसोसिएशन के युवा वकीलों को निगरानी का सुझाव भी दिया।  

ट्रकों की एंट्री रोकने में सरकार विफल
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ट्रकों की एंट्री को कैसे मॉनिटर किया जा रहा है। जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस यह काम देख रही है। जस्टिस ओका ने सवाल किया कि क्या कोई ऐसा मैकेनिज्म है जो दिखाए कि एंट्री रोकने का काम सही से हो रहा है। उन्होंने सरकार के एफिडेविट को कमजोर बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं करता कि कितने चेकपॉइंट्स पर निगरानी हो रही है और किन जरूरी सामानों को छूट दी गई है।  

प्रदूषण प्रबंधन पर कोर्ट ने पूछे सवाल 
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या एंट्री पॉइंट्स पर सीसीटीवी फुटेज की निगरानी हो रही है। कोर्ट ने MCD से कहा कि सभी एंट्री पॉइंट्स पर फुटेज उपलब्ध कराई जाए। जस्टिस ओका ने कहा कि 100 एंट्री पॉइंट्स पर कोई निगरानी नहीं है। यह दिल्ली सरकार की लापरवाही उजागर करता है। इसके साथ ही कोर्ट ने बार एसोसिएशन के 13 सदस्यों ने स्वेच्छा से निगरानी का जिम्मा उठाने की पेशकश की। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि सभी एंट्री पॉइंट्स पर पुलिस तैनात की जाए।  

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एमिकस क्यूरी ने दिल्ली सरकार पर उठाए सवाल
एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट में दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताई। अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनने से रोकने के लिए तुरंत उपाय किए जाएं। याचिका में NCR में वाहनों से होने वाले प्रदूषण और पराली जलाने जैसे मुद्दे भी उठाए गए।  

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पिछली सुनवाई में भी मिली थी सख्त चेतावनी 
सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को स्कूलों को ऑनलाइन करने का आदेश दिया था। 14 नवंबर को कोर्ट ने CAQM से पूछा था कि प्रदूषण गंभीर होने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए। 11 नवंबर को कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध को धार्मिक आधार पर सही ठहराते हुए स्वच्छ हवा को मौलिक अधिकार बताया था। यह सुनवाई दिल्ली-NCR के प्रदूषण नियंत्रण और GRAP के तहत जरूरी प्रतिबंधों को लगाने पर हुई।