Kolkata Rape-Murder: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में गुरुवार (23 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। पश्चिम बंगाल के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टर की निर्मम हत्या और उसके साथ दुष्कर्म को लेकर देशभर में गुस्सा है। रेजिडेंट्स डॉक्टर्स समेत कई संगठन अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं। सुरक्षा की मांग करते हुए देशभर में बड़े पैमाने पर डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। इस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देशभर के हड़ताली डॉक्टरों से कहा है कि डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी पर वापस लौटना चाहिए, क्योंकि देश के गरीब लोगों को परेशानी में नहीं छोड़ा जा सकता है। डॉक्टरों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। साथ ही बंगाल सरकार से कहा कि मेडिकल कॉलेज में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में खलल न डाली जाए।
'अगर डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो गैर-हाजिर नहीं माने जाएंगे'
- चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।सुनवाई के दौरान नागपुर के एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों के वकील ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के कारण डॉक्टरों को गैर-हाजिर मार्क किया जा रहा है।
- इस पर सीजेआई ने कहा- "अगर वे ड्यूटी पर लौटते हैं, तो उन्हें गैर-हाजिर चिह्नित नहीं किया जाएगा, और अगर वे ड्यूटी पर नहीं लौटते हैं, तो कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। सबसे पहले उन्हें ड्यूटी पर लौटने के लिए कहें, फिर कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं होगी। अगर इसके बाद भी कोई समस्या होती है, तो हमारे पास आएं, लेकिन पहले उन्हें काम पर लौटना चाहिए।"
डॉक्टर ड्यूटी नहीं करेंगे तो हेल्थ सिस्टम कैसे चलेगा?
- चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि कुछ मामलों में लोग डॉक्टर्स की नियुक्ति के लिए सालों तक इंतजार करते हैं। गरीब लोगों को असहाय नहीं छोड़ा जा सकता। जब चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के डॉक्टरों के वकील ने कहा कि डॉक्टरों के साथ अन्याय हो रहा है, तो मुख्य न्यायाधीश ने दोहराया कि पहले डॉक्टरों को ड्यूटी पर लौटना चाहिए। एक बार वे ड्यूटी पर लौट आएंगे, तो हम सुनिश्चित करेंगे कि अधिकारियों द्वारा कोई प्रतिकूल कार्रवाई न हो। अगर डॉक्टर काम नहीं करेंगे तो पब्लिक हेल्थ सिस्टम कैसे काम करेगा?
- डॉक्टरों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता के डॉक्टर डरे हुए हैं। उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी आरजी कर हॉस्पिटल में सीआईएसएफ तैनात है। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए CISF को कहेंगे। हमें पता है कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं। टॉस्क फोर्स में रेजिडेंट्स डॉक्टर्स को भी शामिल किया जाए।
नेशनल टॉक्स फोर्स सबकी आवाज सुनेगी: सुप्रीम कोर्ट
अदालत ने डॉक्टरों को भरोसा दिया कि उनकी सभी चिंताओं को हल करने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स गठित की गई है, जो डॉक्टरों की कार्य स्थितियों में सुधार और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सिफारिशें करेगी। बेंच ने कहा कि कमेटी में वरिष्ठ महिला डॉक्टर हैं, जिन्होंने अपना जीवन पब्लिक हेल्थ को समर्पित किया है। कमेटी सभी की सुनवाई करेगी, चाहे वे इंटर्न हों, रेजिडेंट्स, सीनियर रेजिडेंट्स, नर्सें या पैरामेडिकल स्टाफ। कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी प्रतिनिधियों की आवाज सुनी जाए।"
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में खलल नहीं डाला जाएगा
9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के बाद डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन पर सीजेआई ने कहा, “मेडिकल कम्युनिटी को काम पर लौटने की जरूरत है। इस घटना को 13 दिन से अधिक हो गए।” साथ ही सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने राज्य को अपनी वैध शक्तियों के इस्तेमाल से प्रतिबंधित नहीं किया है। लेकिन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में खलल नहीं डाली जानी चाहिए। राज्य सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई से बचना चाहिए जो आरजी कर कॉलेज में घटना का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं।
सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में कई खुलासे
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट के अलावा प्रदर्शन के दौरान आरजी कर हॉस्पिटल में हुई तोड़फोड़ और भीड़ के प्रवेश की जांच करने के निर्देश भी दिए गए थे। आज सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल उठे हैं। अदालत ने कहा कि कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के काम करने का तरीका ठीक नहीं था। घटनास्थल को संरक्षित करने में देरी की वजह से कई अहम सबूत नष्ट होने का अंदेशा है।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्कफोर्स भी बनाई थी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामले में विफलता को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई थी और उनसे भी इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि अपराध स्थल पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भीड़ कैसे अंदर पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा पेशेवरों, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल टास्कफोर्स का गठन भी किया है। डॉक्टरों के संगठनों ने इस टास्कफोर्स के साथ सहयोग करने और इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून की मांग करने का आश्वासन दिया है। टास्कफोर्स को तीन हफ्तों के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और दो महीनों के भीतर अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है।