Voter Turnout Data: लोकसभा चुनाव के पहले फेज की समाप्ति के 11 दिन बाद और दूसरे चरण की वोटिंग के 4 दिन बाद चुनाव आयोग (ECI) ने मंगलवार, 30 अप्रैल को आधिकारिक तौर पर फाइनल डेटा जारी कर दिया। पहले फेज में 19 अप्रैल को 102 लोकसभा सीटों पर 66.14 फीसदी और दूसरे फेज में 88 सीटों पर 26 अप्रैल को 66.71 फीसदी मतदान हुआ।
विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम ने फाइनल डेटा जारी करने में देरी को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का कहना है कि आमतौर पर मतदान का आंकड़ा 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है। लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है।
फेज-1 में मतदान का प्रतिशत
फेज-2 का मतदान प्रतिशत
डेरेक ओ ब्रायन ने पूछा- सबकुछ नॉर्मल या कुछ मिस कर रहा?
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने चुनाव आयोग के फाइनल डेटा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे फेज के खत्म होने के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने अंतिम आंकड़े जारी किए हैं। चुनाव आयोग द्वारा 4 दिन पहले जारी किए गए आंकड़े में 5.75% की बढ़ोतरी हुई है। क्या यह सामान्य है? या फिर कुछ मिस कर रहा हूं?
डेरेक ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद का अंपायर हासिल करने और चुनाव आयोग को नष्ट करने के लिए संसद में कानून बदलवा दिया। अब चरणों के बाद चुनाव आयोग को अंतिम मतदान डेटा का खुलासा करना बाकी है।
येचुरी बोले- वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?
सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने भी चुनाव आयोग पर उंगली उठाई है। उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में कहा कि इलेक्शन कमीशन के पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी ज्यादा है। उन्होंने पूछा कि हर संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा पता न चले, आंकड़ा बेकार है।
उन्होंने कहा कि नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है, क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है। 2014 तक हर निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध थी। चुनाव आयोग को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए। उन्होंने पहले दो फेज के लिए पारदर्शिता की मांग की है।
जयराम रमेश ने भी देरी पर साधा निशाना
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव से जुड़े सभी आंकड़े पारदर्शी तरीके के साथ सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स में लिखा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी नहीं किया है। पहले चुनाव आयोग मतदान के तुरंत बाद या 24 घंटों के भीतर मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी करता था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर केवल अनुमानित रुझान आंकड़े ही उपलब्ध हैं। इस देरी का कारण क्या है?
जयराम रमेश ने कहा कि हर लोकसभा क्षेत्र और उस लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या भी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। वेबसाइट केवल राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या और प्रत्येक बूथ में मतदाताओं की संख्या दिखाती है। भारत के चुनाव आयोग के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों का समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है।