J&K Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव परिणामों से पहले उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने 5 विधायकों को नॉमिनेट किया। उनके इस फैसले और पावर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस, उसकी सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) का आरोप है कि एलजी का यह कदम बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए साफतौर से जनादेश का हनन है।

एग्जिट पोल के बाद नॉमिनेशन से उठ रहे सवाल? 

  • पार्टियों का कहना है कि एग्जिट पोल ने उनकी आशंकाओं की पुष्टि की है। एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गई है, लेकिन कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को बढ़त मिलने का अनुमान है।
  • बीजेपी, जो इस बार के चुनावों में अकेले मैदान में थी, ने जम्मू-कश्मीर में कभी अपनी सरकार नहीं बनाई। 2014 के चुनावों के बाद उसने PDP के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी, लेकिन 2018 में इससे बाहर हो गई।
  • 2019 में बीजेपी ने आर्टिकल 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। जिसके बाद यह एक दशक में जम्मू-कश्मीर का पहला विधानसभा चुनाव है।

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नॉमिनेटेड 5 विधायकों में 2 कश्मीरी पंडित शामिल
गैर-बीजेपी दलों का आरोप है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 5 विधायकों को नामित करने की पावर का इस्तेमाल बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया। पुनर्सीमांकन के बाद जम्मू क्षेत्र को 43 सीटें मिलीं, जबकि कश्मीर को 47 सीटें मिलीं। अगर पांच और विधायकों को नामित किया जाता है, तो बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है। पुनर्सीमांकन आयोग ने सीटों की संख्या बढ़ाने के बाद उपराज्यपाल को 5 विधायकों को नामित करने की शक्ति दी है, जिनमें 2 महिलाएं, 2 कश्मीरी पंडित और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से विस्थापित शख्स शामिल होंगे।

LG के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: अब्दुल्ला
5 विधायकों को नॉमिनेट करने से विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 95 हो गईं और बहुमत का आंकड़ा 46 से बढ़कर 48 हो गया। आदेश में कहा गया है कि नामित विधायकों को चुने गए प्रतिनिधियों के समान सभी अधिकार और विशेषाधिकार मिलेंगे। कांग्रेस ने एलजी सिन्हा के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए इसे लोकतंत्र और जनादेश पर हमला बताया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। सरकार बनाने का क्या मतलब, अगर यहां 'लॉर्ड साहिब' रहेंगे? हमें इसके खिलाफ लड़ना होगा।" PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने इस कदम को चुनाव से पहले धांधली बताया।