GN Saibaba Dies: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का शनिवार रात 9 बजे निधन हो गया, वे 54 वर्ष के थे। 7 महीने पहले उन्हें कथित माओवादी कनेक्शन के मामले में कोर्ट ने बरी किया था। पिछले कुछ दिनों से पोस्ट-ऑपरेटिव कॉम्पलिकेशंस (जटिलताओं) के कारण साईबाबा की हालत गंभीर थी। करीब दो हफ्ते पहले हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में प्रोफेसर साईबाबा का गैल ब्लैडर इंफेक्शन के बाद ऑपरेशन हुआ था।

सीपीआई विधायक ने साईबाबा के निधन पर दुख जताया
अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि ऑपरेशन के बाद साईबाबा को कुछ जटिलताएं हो गई थीं। वह 20 दिनों से निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) में भर्ती थे। सीपीआई विधायक के सांबासिवा राव ने प्रोफेसर जीएन साईबाबा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे समाज के लिए बड़ी क्षति बताया है।

माओवादी लिंक केस: हाईकोर्ट ने मार्च 2024 में बरी किया 
इसी साल मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को माओवादी लिंक के आरोप से बरी कर दिया था। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया और आरोप साबित करने में नाकाम रहा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को भी निरस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ लगाए गए यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत आरोपों को "अमान्य" करार दिया था।

प्रोफेसर साईबाबा ने फर्जी केस में 10 साल जेल में गुजारे
जीएन साईबाबा पूरी तरह से व्हीलचेयर पर आश्रित थे, माओवादी लिंक मामले में क्लीनचिट मिलने पर वह 10 साल बाद नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर आए। उन्होंने अगस्त में आरोप लगाया था कि जेल में उन्हें 9 महीने तक अस्पताल नहीं ले जाया गया, जबकि उनके शरीर का बायां हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया था। उन्हें सिर्फ दर्द निवारक दवाएं दी गई थीं।

पुलिस पर लगाया था किडनैप कर गिरफ्तारी का आरोप 
मूलत: आंध्र प्रदेश के निवासी जीएन साईबाबा का कहना था कि पुलिस ने उन्हें "अपहरण" कर गिरफ्तार किया था ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके। उन्होंने दावा किया था कि महाराष्ट्र पुलिस ने दिल्ली से उनका अपहरण किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के दौरान उन्हें व्हीलचेयर से बाहर घसीटा गया, जिससे उनके हाथ में गंभीर चोट आई थी और उनके नर्वस सिस्टम पर असर पड़ा था।