- रुथलैस एप्रोच के 1 साथ वामपंथी उग्रवाद के पूरे ईकोसिस्टम को ध्वस्त करना होगा
- वामपंथी उग्रवाद को सीमित करना देश के सुरक्षा बलों और लोकतंत्र की विजय
- 277 नए सुरक्षा कैंप बनाकर सिक्योरिटी वैक्यूम को भरा जा रहा है
अमित शाह (Amit Shah)? भारतीय राजनीति में वह नाम विगत एक दशक से भरोसे का पर्याय बना हुआ है। फिर चाहे उन पर यह भरोसा देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का अपने सर्वाधिक विश्वस्त सहयोगी के रूप में हो, भाजपा कार्यकर्ताओं का सुयोग्य नेतृत्वकर्ता के रूप में हो या आम जनता का दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ साहसिक फैसले क्रियान्वित करने वाले गृहमंत्री के रूप में हो। उन अमित शाह को यह भरोसा है कि इस देश के बड़े हिस्से में पांच दशक से नासूर बना हुआ नक्सलवाद कुल जमा डेढ़ साल का मेहमान रह गया है। इसकी वजह मोदी सरकार द्वारा समेकित रणनीति से उठाए गए ठोस कदम है। तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए देश के गृहमंत्री अमित शाह ने अपने अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम के बीच नक्सल समस्या समेत देश-प्रदेश से जुड़े तमाम विषयों पर हरिभूमि समाचार पत्र समूह के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से खुल कर बातचीत की। सात राज्यों के पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक के दौरान निकले निष्कर्ष के चलते मार्च 2026 तक देश से नक्सली खात्मे का दावा कर चुके श्री शाह से तकरीबन आधी रात को लिए गए इस विशेष साक्षात्कार की बड़ी बातें...
जम्मू-कश्मीर में 2023 में रिकॉर्ड 2 करोड़ से अधिक पर्यटक आए और 33 साल बाद सिनेमा हॉल खुले
सवाल: आप कश्मीर से आतंकवाद उत्तरपूर्व से उग्रवाद और छत्तीसगढ़ से लगातार नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए काम कर रहे हैं। क्या नक्सलवाद भी आतंकवाद जितनी ही बड़ी समस्या है?
जवाब: देखिए इन सभी में एक समानता है और वो है हिंसा, इनसे मानव जीवन को लगातार क्षति पहुंची है। इससे कुछ क्षेत्रों में लोगों के जीवन को पीढ़ियों तक को तबाह कर दिया, इनकी प्रवृत्तियां अलग हैं, काल करने के तरीके अलग हैं। भारत की आतंरिक सुरक्षा चुनौतियों में 3 हॉटस्पॉट थे- पूर्वोतर भारत, वामपंथी उग्रवादी क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर। 2014 में जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने तब से उन्होंने इन तीनों क्षेत्रों में समानांतर काम किए। सरकार के प्रयास से कुल हिंसक घटनाओं में 60% की कमी आई है और कुल मृत्यु में 71% की कमी आई है। हमने इसके लिए मल्टी एजेंसी एप्रोज अपनाया और आपराधिक न्याय के कानूनों में आतंकवाद और संगठित अपराध को परिभाषित किया। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर आतंकवाद के फलने-फूलने के रास्ते बंद किए। इस कारण वहां साल 2023 से रिकॉर्ड 2 करोड़ से अधिक पर्यटक आर और 33 साल बाद सिनेमा हॉल खुले। पूर्वोतर में पिछले 10 वर्षों में शान्ति के 10 महत्वपूर्ण समझौते हुए और पूर्वोतर में अधिकतर जगहों से अफस्पा (एएफएसपीए) को हटा दिया गया है। वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में 11,461 किलोमीटर से अधिक सड़क बनाई गई। 955 नई बैंक शाखाएं, 833 एटीएम और 4903 डाकघर खोले गए, जिससे पहली बार वहां के लोगों के जीवन में विकास उनके घर तक पंहुचा है जो कभी दूर-दूर तक दिखाई वहीं पड़ता था। अगर हम बीते 10 सालों के तुलनात्मक आंकड़े देखें तो नक्सली घटनाओं में 53% की कमी आई है। नक्सली हिंसा के कारण होने वाली आम नागरिक की मृत्यु में 69% की कमी और सुरक्षाबलों की मृत्यु में 73% की कमी आई हैं। हमने नक्सलवाद, आतंकवाद और पूर्वोतर में उग्रवाद तीनों को कभी एक दूसरे से कमतर नहीं आंका और तीनों दिशाओं में एकसाथ काम किए, जिसके अब सकारात्मक परिणाम आए हैं।
सवाल: आपने नक्सलमुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया है। यह कब तक पूरा हो पाएगा?
जवाब: वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए मोदी सरकार को रणनीति एकदम स्पष्ट रही है। हम इन क्षेत्र के लोगों को विकास की मुख्यधारा का हिस्सा बनाकर, उनके जनजीवन में बदलाव लाकर लोगों को विकास की मुख्यधारा का हिस्सा बनाकर, उनके जीवन में बदलाव लाकर युवाओं को विकसित और आत्मनिर्भर भारत के साथ जोड़कर इन क्षेत्रों से वामपंथी उग्रवाद को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहते हैं। हमारी लड़ाई नक्सलवाद से है, जो गरीबी, विकास के साधनों का अभाव और अवसरों की कमी को अपना अस्त्र बनाकर युवाओं को हिंसा के रास्ते पर ले जाते थे। हमारी यह रणनीति आज सकारात्मक परिणाम लेकर आ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि मार्च 2026 से पहले देश पूरी तरह से वामपंथी उग्रवाद से मुक्त होने वाला है।
देश को जितना नुकसान इन हथियारबंद नक्सलियों ने पहुंचाया है, उतना ही नुकसान इन अर्बन नक्सल ने पहुंचाया
सवाल: नक्सलियों का एक बड़ा ईकोसिस्टम है। जो अर्बन नक्सल हैं, वे जंगलों से दूर रह कर इसे चलाते हैं। क्या सरकार उन पर भी शिकंजा कस रही है?
जवाब: देश को जितना नुकसान इन हथियारबंद नक्सलियों ने पहुंचाया है, उतना ही नुकसान इन अर्बन नक्सल ने पहुंचाया है। ये के ऑस, कन्फ्यूजन और कॉन्फिलिक्ट द्वारा अराजकता की स्थिति उत्पन्न करते हैं। इनके ऊपर सुरक्षा एजेंसियां तो कार्रवाई कर ही रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों से ऐसा माहौल भी पैदा कर रहे हैं, ताकि लोग इनके झांसों में न आएं और इनके टूलकिट का शिकार न बने। एक चिंता का विषय यह भी है कि यह तथाकथित अर्बन नक्सल हमारे शैक्षणिक संस्थानों में भी अंदर तक घुस गए हैं और हमारे युवाओं को गलत नरेटिव द्वारा पथभ्रष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी खुफिया और सुरक्षा संस्थाओं की इन पर पैनी नजर है और में स्पष्ट कर दूं कि मोदी सरकार इनके खिलाफ सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ रही, बल्कि लगातार जीत भी रही है।
सवालः अब केंद्र और छत्तीसगढ़ दोनों में आपकी सरकार है। क्या इससे नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई को और गति मिलेगी?
जवाब: पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि यह लड़ाई केंद्र या प्रदेश की नहीं बल्कि देश की है और मुझे खुशी है कि केंद्र को कमोबेश इस लड़ाई में सभी राज्य सरकारों का सहयोग मिला है। छतीसगढ़ में भाजपा सरकार होने से समन्वय निश्चित रूप से और बेहतर हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए बेहतर केंद्र- राज्य समन्वय पर लगातार जोर देती रही है। हमने प्रभावित राज्यों को बिना भेदभाव के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, हेलीकॉप्टर, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन का निर्माण आदि के लिए मदद मुहैया करवाई। मोदी सरकार ने सिक्युरिटी रिलेटेड एक्स्पेन्डिचर (एसआरई) योजना, स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (एसआईएस) के तहत 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 3006 करोड़ जारी किए गए। एसआरई के तहत धन के रिलीज में पिछले 10 वर्षों में 194% वृद्धि की गई। जल्द ही छत्तीसगढ़ सरकार नई आत्मसमर्पण नीति लाएगी, जिससे युवा हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे।
सवाल: हाल ही में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का गठबंधन हुआ, उस गठबंधन को लेकर आपने कांग्रेस पार्टी से 10 सवाल पूछे? आपको लगता है जम्मू-कश्मीर की जनता इन सवालों से जुड़ेगी?
जवाब: कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के साथ गठबंधन किया है, तो मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूं कि क्या वो नेशनल कांफ्रेंस द्वारा उनके घोषणा पत्र में किए गए वादों से सहमत है? क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘अलग झंडे’ के वादे का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस पार्टी आर्टिकल 370 और 35ए को लाना चाहती है? क्या कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के साथ ‘एलओसी ट्रेड’ शुरू कर बॉर्डर पार से आतंकवाद और उसके ईकोसिस्टम का पोषण करने का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस दलितों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त कर फिर से उनके साथ अन्याय करने के जेकेएनसी के वादे के साथ है?क्या कांग्रेस कश्मीर के युवाओं के बदले पाकिस्तान के साथ वार्ता का समर्थन करती है? कांग्रेस को इन सवालों का जवाब देकर जनता के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
सवाल: आपकी छत्तीसगढ़ में सहकारिता के विस्तार को लेकर बैठकें हुईं। सहकारिता मंत्री बनने के बाद आपने एक के बाद एक बड़े कदम उठाए। आपको लगता है कि छत्तीसगढ़ और बाकी देश में भी सहकारिता उतना व्याप्त हो पाएगा, जितना गुजरात और महाराष्ट्र में है?
जवाब: मोदी जी ने अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाकर सहकारी क्षेत्र की सभी संभावनाओं को नए पंख दिए हैं। आज सहकारिता मंत्रालय ने 54 से अधिक इनिशिएटिव्स लेकर सहकारिता को टेक्नोलॉजी एवं अन्य आय के अवसरों से जोड़ने का कार्य किया है। आज पीएसीएस को बहुआयामी बनाकर इसकी क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया गया है। देश का सहकारिता तंत्र आज किसानों की बीज से लेकर उर्वरक और उत्पादन के निर्यात से लेकर भंडारण तक का कार्य करता है। साथ ही, सहकारी बैंकों को आधुनिक बनाकर, सहकारी चीनी मिलों को एथेनोल ब्लेंडिंग से अतिरिक्त आय के अवसर उपलब्ध करवाकर सहकारिता मंत्रालय सहकारी तंत्र को मजबूत बना रहा है। ये कार्य छत्तीसगढ़ में भी संभव है और यहां तो कृषि और वन उपज की बड़ी विस्तृत प्रणाली है। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में सहकारिता बहुत व्याप्त होगा।
मोदी सरकार रुथलैस अप्रोच के साथ वामपंथी उग्रवाद के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त कर रही, 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होगा भारत
सवाल: आपकी सरकार आने के बाद से सैकड़ों माओवादी मारे जा चुके हैं। यह कैसे मुमकिन हुआ?
जवाब: मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ रुथलेस अप्रोच से आगे बढ़ रही है और उनके पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त कर रही है। हमारे सुरक्षा बलों ने नये-नये इनोवेटिव तरीकों से नक्सालियों को घेरा। पहली बार सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़, चक्रबंधा और भीमबांध के कठिन क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर वहां स्थायी कैंप स्थापित किए हैं और 30-40 साल के बाद ये क्षेत्र नक्सलवाद से मुक्त होकर विकास की नई सुबह देख रहे हैं। साथ ही, हमने स्पेशल टास्क फोर्स का गठन भी किया। एसटीएफ की विशेषज्ञता और नॉलेज शेयरिंग की सहायता से केंद्रीय तथा राज्यों के पुलिस बलों में स्पेशल ऑपरेशन टीम्स का गठन किया। इसके अलावा, हमने नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग भी किया। माओवादियों का गढ़ समझे जाने वाले क्षेत्रों में सिक्युरिटी वेक्यूम को समाप्त किया और 2019 से 277 नए कैम्पों की स्थापना द्वारा सुरक्षा ग्रिड का विस्तार किया। इसके अलावा, एनआईए में अलग वर्टीकल बनाकर 94 मामलों में जाँच तथा 64 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए। यानि, हमने हर उस माध्यम को तलाशा और उसका उपयोग किया, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को हिंसा से मुक्त किया जा सके।
सवाल : नक्सलवाद की जन्मस्थली नक्सलबाड़ी नक्सलमुक्त हो गया, पर देश में नक्सलवाद फैलता रहा। इसके पीछे आप क्या कारण मानते हैं?
जवाब: देखिए, किसी विचार की जन्मस्थली और अनुयायियों के बीच कोई इन्हेरेंट रिश्ता नहीं होता है। नक्सलबाड़ी में गरीबों पर जुल्म हुए, लोगों ने हथियार उठा लिए, लेकिन उन्हें यह समझ आने लगा कि हिंसा रास्ता नहीं है। वामपंथियों ने उसे एक अवसर के रूप में देखा और सरकार की नाकामी को माध्यम बनाकर अपने उल्लू सीधा किया।
सवाल : अभी नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में कितने कैंप्स सुरक्षाबलों द्वारा बनाए जा चुके हैं?
जवाब : इस दिशा में लगातार काम जारी है। आंकड़ों की बात करें तो 2019 से लेकर अभी तक प्रभावित क्षेत्रों में 277 नए कैंप स्थापित किए गए हैं। साथ ही, इन क्षेत्रों में 14 नए जॉइंट टास्क फ़ोर्स (जेटीएफ) कैंप खुले हैं और 6 बटालियन को अन्य राज्यों से निकालकर वामपंथी उग्रवाद के कोर क्षेत्रों में रि-डिप्लोयमेंट किया गया है।
सवाल : क्या एजेंसियों का कॉिर्डनेट एप्रोच और सरकार का संकल्प इस सफलता के पीछे प्रमुख कारण है?
जवाब : हां, यह सच है। लेकिन, ऐसा इसलिए भी संभव हो पाया क्योंकि मोदी सरकार ने एजेंसियों के सशक्तीकरण की प्रक्रिया को बिना किसी भेदभाव के पूरा किया। हमने केंद्रीय एजेंसियों को सहायता योजना के तहत पिछले 05 वर्षों में कैंप इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु 96.55 करोड़ और 6 अस्पतालों के उन्नयन के लिए 12.06 करोड़ तो दिए ही, एलडब्ल्यूई ऑपरेशन हेतु स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम के अंतर्गत राज्यों के विशेष बलों (एसएफ) और विशेष खुफिया शाखाओं (एसआईबी) को मजबूत करने के लिए 371 करोड़ की परियोजनाएं तथा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में 620 करोड़ के 250 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन (एफपीएस) भी मंजूर किए। इतना ही नहीं,एक्स्टेंडेड एसआईएस योजना के अंतर्गत राज्यों के विशेष बलों (एसएफ), विशेष खुफिया शाखाओं (एसआईबी) और जिला पुलिस को मजबूत करने के लिए 610 करोड़ की परियोजनाएं तथा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में 140 करोड़ के 56 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन (एफपीएस) मंजूर किए गए हैं। मैं ये आंकड़े इसीलिए बता रहा हूं कि हमने एजेंसियों के बीच समन्वय की केवल बात ही नहीं की, बल्कि हमने एजेंसियों को मजबूत बनाया और एक दूसरे के समकक्ष लाया, ताकि उनके बीच समन्वय आसान हो सके।
सवाल: छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को लगभग 8 महीने का समय हो गया है। प्रदेश को नया नेतृत्व मिला है। नई सरकार के काम को आप कैसे आंकते हैं? आपके अनुसार इस सरकार की क्या-क्या बड़ी उपलब्धियां रहीं?
जवाब: छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार शपथ लेते ही एक्शन मोड में आ गई। प्रधानमंत्री मोदी जी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की जोड़ी ने एक के बाद एक जनकल्याणकारी काम शुरू कर दिए। प्रधानमंत्री आवास योजना को कांग्रेस की राज्य सरकार ने रोककर रखा था,उसे भाजपा सरकार ने आते ही शुरू किया और 18 लाख परिवारों के लिए आवास स्वीकृत किए। 25 दिसंबर 2023 को सुशासन दिवस पर 13 लाख किसानों के बैंक खातों में 3700 करोड़ ट्रांसफर किए गए। कृषक उन्नति योजना के तहत किसानों से 3100 प्रति क्विंटल की दर और प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से धान खरीदी की गई। महतारी वंदन योजना के तहत 70 लाख महिलाओं को हर माह 1 हजार दिए जा रहे हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 4 हजार से बढ़ाकर 5500 प्रति मानक बोरा किया गया। युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए 50% सब्सिडी पर ब्याज मुक्त ऋण दिए जा रहे हैं। साथ ही योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए 25 दिसंबर 2023 को सुशासन दिवस पर अटल मॉनिटरिंग पोर्टल काशुभारंभ किया गया। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 1 करोड़ 51 लाख 84 हजार पौधों का रोपण किया जा चुका है। ऐसे ढेर सारे काम हुए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने मोदी सरकार की सभी योजनाओं का शत-प्रतिशत सेचुरेशन करने के लिए मार्च, 2025 का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री का माओवादी कमांडर हिड़मा के गांव (पुवर्ती, सुकमा जिला) का दौरा और वहां ग्रामीणों को आधार कार्ड और आयुष्मान भारत कार्ड वितरण करना हमारे दृढ़ निश्चय और मोदी जी के प्रति जनता के विश्वास को दर्शाता है।
सवाल: नक्सल समस्या राजनीतिक ज्यादा है या सामाजिक पिछड़ापन को आप जिम्मेदार मानते हैं?
जवाब: यह न तो सामाजिक और न ही आर्थिक पिछड़ापन की देन है। यदि ऐसा होता भारत के सभी गरीबों ने हथियार उठा लिए होते। मेरे विचार से गरीबी की आग को बुझाने के लिए विकास के सेफ्टी वॉल्व की आवश्यकता होती है, परंतु दुर्भाग्य से पहले की सरकारों ने विकास का सेफ्टी वॉल्व देने की जगह राजनीति से प्रेरित हो कर इन लोगों की पेट की आग में असंतोष का पेट्रोल डाला। जब कहीं आग लगती है, तो आग बुझाने के बदले दूसरों का घर जला देने के लिए उकसाना ही वह राजनीतिक प्रेरणा है, जिससे नक्सलवाद लगातार बढ़ता गया। अब प्रश्न यह है कि जो पिछड़ा, दलित और वंचित समुदाय जिसको पिछली सरकारों ने जानबूझकर वंचित रखा, उनके मन में नक्सलवाद की विचारधारा को बढ़ने दिया। लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद यह परिदृश्य बदला और हमारी सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्यों से आज उन लोगों में विश्वास जगा है और अब वे भी मुख्यधारा में आ रहे हैं। आज वे अपने बच्चों को बंदूक के बजाय कलम और लैपटॉप दे रहे हैं। यह बदलाव तब संभव होता है जब लोग अपने नेता पर भरोसा करते हैं और उनके द्वारा बनाई गई नीतियों का सीधा लाभ महसूस करते हैं। देश में सामाजिक पिछड़ेपन के शिकार लोगों ने इन 10 सालों में जनकल्याण के जो कार्य देखे हैं, उससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पर भी अनुकूल असर पड़ा है।
सवाल: इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान काफी बढ़ा है। यह कैसे हुआ?
जवाब: देखिए, लोग नक्सलवाद से बाहर आना चाहते हैं। इन क्षेत्रों में नक्सलवाद के कारण एक भय का माहौल था। जब कहीं उग्रवाद की घटना होती है, तो आसपास उसका एक भय बन जाता है। मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में न सिर्फ नक्सलियों का सफाया किया, बल्कि आम जन के मन से इस आतंक को भी दूर किया। साथ ही, सुरक्षा के लिए जवानों और पुलिस बलों की भी गंभीरता से तैनाती की गई। इस कारण लोग घरों से बाहर आए और मत प्रतिशत में इजाफा हुआ। आज मोदी जी की रणनीति के कारण, चाहे मध्यप्रदेश के चंदामेटा गांव हो या छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छह गांवों हो, यहां के लोगों ने 40 वर्षों में पहली बार आम चुनाव में मतदान किया। यह सुरक्षा बलों और लोकतंत्र की एक बड़ी जीत है। आज, केंद्रीय बल न केवल माओवादियों से लड़ रहे हैं, बल्कि विकास गतिविधियों की निगरानी भी कर रहे हैं।
सवाल: जो नक्सलवादी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहे, तो उनसे आपकी कोई अपील है?
जवाब: देखिए, नक्सलवाद का प्रमुख कारण इस देश में सरकारों की नाकामी के लूपहोल्स थे। मैं भ्रमित हुए सभी युवाओं से कहना चाहता हूं कि आज मोदी सरकार आपके और आपकी आने वाली पीढ़ी की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और हर एक मौलिक जरूरत की पूर्ति की दिशा में कार्य कर रही है। यह देश हम सभी का है। आप सब हथियार त्याग कर मोदी सरकार की इस विकास यात्रा में सहभागी बनिए। हिंसा का कोई अंत नहीं है और इसके आग में आपकी पीढ़ियां झुलस गई हैं। अब उपेक्षा और तिरस्कार के दिन लद गए हैं। हमारी सरकार आपकी हर संभव मदद के लिए कटिबद्ध है। आइए, एकसाथ मिलकर आत्मनिर्भर और विकसित भारत का निर्माण करें।
सवाल: जम्मू-कश्मीर में लंबे समय के बाद विधानसभा चुनाव होंगे। भाजपा के सामने क्या-क्या चुनौतियां और संभावनाएं हैं?
जवाब: जम्मू-कश्मीर के प्रति हमारी सरकार का दृष्टिकोण काफी अलग रहा है। जम्मू-कश्मीर को हम अपनी संभावना और अवसर के लिए नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर वासियों की संभावनाओं और अवसरों के लिए बनाना चाहते हैं। आर्टिकल 370 की समाप्ति कर मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर के विकास के सारे बंद रास्ते खोल दिए और प्रदेश को आतंकवाद और पत्थरबाजी से दूर ले जाकर शांित और संभावनाओं के द्वार पर ला खड़ा किया है। हमारी सरकार के प्रयासों से आज जम्मू-कश्मीर में आईआईटी,आईआईएम,एम्स जैसे संस्थान खुले हैं और विकास की नई बयार आई है। आज जम्मू भारत का एकमात्र शहर है जहां आईआईटी,आईआईएम,एम्स हैं। जम्मू-कश्मीर अब शांति की राह पर आगे बढ़ रहा है, बीते 10 वर्षों में आतंकी घटनाओं में 69% की कमी आई है, नागरिकों की मृत्यु में 80% की कमी और सुरक्षा बलों के कर्मियों की मृत्यु में भी 44% की कमी आई है। यही विकास के कार्य इन चुनावों में हमारे कैंपेन का आधार होंगे और हम निश्चित रूप से वहां सरकार बनाएंगे।
सवाल: क्या आपको लगता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता इन चुनावों में भाजपा पर विश्वास जताएगी?
जवाब: आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण के बाद से जम्मू-कश्मीर की जनता ने विकास और शांति के नए युग को देखा है। हमारे पिछड़े, दलित, अनुसूचित जातियों, पहाड़ियों, गुज्जर, बकरवाल और स्थानीय निवासियों को अब उनका अधिकार मिल रहा है। युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के नए अवसर आए हैं। वहां पंचायतों और लोकसभा के चुनाव हुए हैं, जिसमें वहां के निवासियों ने रिकॉर्ड मतदान किया। आज जम्मू-कश्मीर को 3 परिवारों की राजनीति से मुक्ति मिली है और लोकतंत्र की कमान जनता के हाथों में जाने से लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं। जम्मू-कश्मीर की संस्कृति आज एक बार फिर से फलने-फूलने लगी है।