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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म को लेकर देशभर में गुस्सा है। कई शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

Kolkata Hospital Vandalism: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बुधवार-गुरुवार दरमियानी रात हुई तोड़फोड़ पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई। शुक्रवार (16 अगस्त) को हाईकोर्ट ने विरोध प्रदर्शन के दौरान बवाल को लेकर स्वत: संज्ञान लिया। अदालत ने इस घटना को पश्चिम बंगाल सरकार की पूर्ण विफलता करार दिया। साथ ही ममता बनर्जी सरकार को चेताया कि अगर राज्य पुलिस हॉस्पिटल को सुरक्षा नहीं कर सकती, तो मेडिकल सर्विसेस को बंद करने का आदेश देंगे। वहीं, बीजेपी ने भी तोड़फोड़ की घटना पर बंगाल सरकार को घेरा है।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सीबीआई को "पूर्व नियोजित" तोड़फोड़ पर अंतरिम रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कुछ दिन पहले भी आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिया था। तब अदालत ने कहा था कि डॉक्टर के माता-पिता द्वारा अस्पताल प्रशासन और पुलिस की गंभीर लापरवाही का आरोप लगाने के बाद और समय बर्बाद नहीं किया जा सकता।

तोड़फोड़ के दौरीन करीब 7,000 की भीड़ थी: सरकार

  • कोलकाता के अस्पताल में हुए दिलदहला देने वाली घटना ने देशभर में विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक विवादों को जन्म दिया है, जिसमें गुरुवार को प्रदर्शन के दौरान भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुईं और अस्पताल के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की गई।ॉ
  • दालत द्वारा तोड़फोड़ पर सवाल पूछे जाने पर राज्य सरकार ने बताया, "...वहां करीब 7,000 की भीड़ थी। संख्या अचानक बढ़ गई... हमारे पास वीडियो हैं। उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ दिए... आंसू गैस के गोले छोड़े गए और 15 पुलिसकर्मी घायल हुए। डिप्टी कमिश्नर घायल हुए। पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम में तोड़फोड़ की गई (लेकिन) घटना स्थल (अपराध स्थल) सुरक्षित था।"

पुलिस के खुफिया विभाग को भनक क्यों नहीं लगी?

  • हाईकोर्ट ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन को पहले की सुनवाई में भी फटकार लगाई थी, जब डॉक्टर के माता-पिता ने लापरवाही का आरोप लगाया था। चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम की अगुवाई वाली बेंच ने सवाल किया कि इतनी संवेदनशील स्थिति में सार्वजनिक विरोध की अनुमति क्यों दी गई। आमतौर पर पुलिस की खुफिया शाखा होती है... हनुमान जयंती पर भी इसी तरह की चीजें हुई थीं। अगर 7,000 लोग इकट्ठा होने वाले हैं, तो कैसे मान लें कि पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। 
  • बंगाल सरकार ने जवाब दिया- कोई अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि उस समय धारा 144 लागू थी। आपको उस क्षेत्र को बंद कर देना चाहिए था। अदालत ने राज्य सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा, "यह राज्य मशीनरी की पूर्ण विफलता है... तो वे (पुलिस) अपने ही लोगों की रक्षा नहीं कर सके? यह दुखद स्थिति है। डॉक्टर वहां कैसे निडर होकर काम करेंगे?"

सरकार ने बार-बार कहा- अपराध स्थल सुरक्षित है

  • इस बीच, माता-पिता की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि पुलिस "प्रदर्शनकारियों के पीछे छिपी हुई थी" और दावा किया कि एक गलतफहमी और पुलिस की कार्रवाई नहीं, बल्कि अपराध स्थल को तोड़फोड़ से बचा सकी। उन्होंने कहा, "ये गुंडे तीसरी मंजिल खोजने गए थे.. तीसरी मंजिल का मतलब बंगाली में चौथी मंजिल है, जो कि घटना स्थल था। उन्होंने गलत समझा और दूसरी मंजिल पर चले गए, जिससे अपराध स्थल बच गया। राज्य मशीनरी विफल रही... अपराध स्थल आरजी कर हॉस्पिटल था और पुलिस इसे बचा नहीं सकी।" मृतका के माता-पिता के वकील ने अपराध स्थल के पास चल रहे निर्माण/मरम्मत कार्य पर भी सवाल उठाया, जिसके बारे में अस्पताल प्रशासन ने कहा कि यह पहले से ही योजना के तहत था और इसका अपराध से कोई संबंध नहीं है।
  • अदालत ने पूछा, "इसमें इतनी जल्दी क्या थी... आप किसी भी जिला अदालत में जाएं... महिलाओं के लिए कोई शौचालय नहीं है। पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) कुछ नहीं करता... यहां इसकी क्या जरूरत थी?" अंत में अदालत ने चेतावनी दी- "हम अस्पताल बंद कर देंगे। हम सभी को स्थानांतरित कर देंगे। वहां कितने मरीज हैं?" अदालत ने राज्य सरकार को बार-बार आश्वासन दिया कि "अपराध स्थल सुरक्षित है।"

बीजेपी बोली- टीएमसी राज में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में तृणमूल सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा- आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जो कुछ हो रहा है। हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। यहां अस्पताल में रात को प्रदर्शन के दौरान कुछ गुंडे भीड़ में शामिल होकर तोड़फोड़ कर रहे थे। हाईकोर्ट के सीबीआई द्वारा जांच के आदेश के बाद भी हिंसा होना सबूत मिटाने की एक साजिश हो सकती है। कुछ लोगों ने बताया कि तोड़फोड़ करने वाले सेमिनार हॉल का रास्ता पूछ रहे थे, जहां ट्रेनी डॉक्टर की हत्या हुई थी। बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के संरक्षण में हिंसा हो रही है। पहले भी टीएमसी के नेताओं के खिलाफ महिलाओं के साथ अत्याचार की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हर बार ममता बनर्जी ने अपराधियों को बचाने का काम किया है। ये बेहद शर्मनाक स्थिति है। ये कोई घटना नहीं, टीएमसी की मानसिकता है।

कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी का पैदल मार्च
उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजधानी कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ टीएमसी नेताओं के साथ शाम 4 बजे पैदल मार्च निकाला। उन्होंने सीबीआई जांच में सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग और पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग की। दूसरी ओर, बीजेपी ने शुक्रवार (16 अगस्त) को पूरे पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और सड़क रोके अभियान की शुरुआत की है। बीजेपी शाम को सभी जिलों और शहरों में कैंडल मार्च भी निकाला। 

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