Fake Bank Scam: छत्तीसगढ़ में फर्जी SBI ब्रांच का खुलासा, जिम्मेदारों को भनक तक नहीं; बेरोजगारों से लाखों रुपए ठगे

Fake Bank Scam: स्थानीय ग्रामीणों को ठगने के लिए जालसाजों ने छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नकली शाखा खोली थी। फर्जी निक्तियों के जाल में कई युवा फंस गए।;

Update:2024-10-03 15:24 IST
Fake SBI Bank Branch Setup In ChhattisgarhFake SBI Bank Branch Setup In Chhattisgarh
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Fake Bank Scam: ऑनलाइन फर्जीवाड़े से हाईटेक हुए जालजासों ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की नकली ब्रांच खोलकर लोगों को लाखों का चूना लगा दिया। कई दिनों तक तो अधिकारियों और खाताधारकों को इसका इल्म भी नहीं था कि एसबीआई की यह ब्रांच फेक है। मामला छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले का है। इस फर्जीवाड़े को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया, जिसमें फर्जी भर्ती करना, फेक ट्रेनिंग सेशन और एक पूरी तरह से असली बैंक जैसा सेटअप तैयार करना शामिल था, जिससे स्थानीय बेरोजगार युवा और स्थानीय ग्रामीण ठगों के जाल में फंसते चले गए।

मैनेजर, कैशियर समेत 6 लोगों को नौकरी पर रखा
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक, राजधानी रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर जालसाजों द्वारा फेक बैंक ब्रांच खोलने की पूरी कहानी फिल्मी है, जो कि मौजूदा वक्त में सक्रिय ऑनलाइन ठगी के तरीकों से बिल्कुल अलग है। अपराधियों ने सक्ती जिले के छपोरा गांव में बैंक शाखा खोली और लोगों को भरोसे में लेने के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के नाम पर मैनेजर, कैशियर और मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव समेत विभिन्न पदों के लिए 6 लोगों को नौकरी पर भी रखा। इसके लिए बैंक के फेक लेटर हेड पर अप्वाइंटमेंट लेटर भी जारी किए गए।

बेरोजगारों ने नौकरी के एवज में 6 लाख तक दे दिए
इस बैंक स्कैम में कोरबा, बालोद, कबीरधाम और सक्ती समेत कई जिलों के बेरोजगार युवा मेन टारगेट थे, जिन्हें सरकारी नौकरी का झांसा देकर भारी रकम वसूली गई। कुछ युवाओं ने तो यह सोचकर कि एसबीआई में नौकरी लग रही है, इन नौकरियों के बदले जालसाजों को 2 से लेकर 6 लाख रुपए तक दे दिए। इन्हें भी इस बात की भनक नहीं थी कि ग्रामीण इलाके में खुली यह एकबीआई ब्रांच नकली है। 

हू-ब-हू असली एसबीआई ब्रांच जैसा इंटीरियर
छपोरा गांव में यह नकली बैंक करीब 10 दिनों तक चली और इस शाखा में बिल्कुल असली बैंक जैसा माहौल तैयार किया गया था, जिसमें नई फर्नीचर, कागजात और एक्टिव काउंटर शामिल थे। इसे वास्तविक दिखाने के लिए एसबीआई जैसे साइनबोर्ड और फर्नीचर लगाए गए। कई ग्रामीणों ने तो इसमें खाता खोलने और लोन लेने तक की योजना बना ली थी, जिससे और भी बड़ा नुकसान हो सकता था।

नकली बैंक घोटाला कैसे हुआ उजागर? 
स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल ने छपोरा में एसबीआई कियोस्क के लिए आवेदन किया था। जब उसे पता चला कि रात में अचानक एसबीआई की नई शाखा आ गई है, तो उसे संदेह हुआ। उनकी करीब एसबीआई शाखा डबरा से संपर्क साधा तो उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई नई बैंक ब्रांच बिना सूचना के खुल सकती है। इसके बाद जांच के बाद छपोरा में नकली बैंक शाखा संचालित होने का खुलासा हुआ। बैंक शाखा खोलने के लिए जालसाजों ने एक मकान में कुछ शटर किराए पर लिए थे। 

फेक बैंक चलाने वाले 4 आरोपियों की पहचान हुई
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पटेल ने बताया- "डबरा शाखा के मैनेजर ने हमें छपोरा में चल रहे बैंक फर्जीवाड़े की सूचना दी। जांच में यह बैंक शाखा फर्जी निकली और यहां कर्मचारियों को नकली दस्तावेजों के साथ नौकरी पर रखा गया था।" पुलिस ने अब तक घोटाले में शामिल 4 आरोपियों की पहचान की है, जिनमें रेखा साहू, मंदिर दास और पंकज शामिल हैं, जिन्होंने खुद को फर्जी एसबीआई शाखा का मैनेजर बताया था। सभी आरोपी आपस में लिंक हैं।

ठगे गए बेरोजगार युवाओं ने बयां किया दर्द

  • इस इलाके में रहने वाली ज्योति यादव ने बताया- "मैंने अपने दस्तावेज जमा कर दिए, बायोमैट्रिक्स पूरा कर लिया और उन्होंने मुझे बताया कि मेरी ज्वाइनिंग पक्की हो गई है। उन्होंने मुझे 30,000 रुपए सैलरी देने का वादा किया था।" 
  • एक अन्य पीड़िता संगीता कंवर ने कहा, "मुझसे 5 लाख रुपए मांगे गए थे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं इतना भुगतान नहीं कर सकती। हमने आखिर में 2.5 लाख रुपए पर समझौता कर लिया। मुझे 35,000 रुपए सैलरी का ऑफर मिला था।"

आर्थिक घाटे के साथ कानूनी पचड़े में फंसे युवा
एक दुकानदार योगेश साहू ने बताया कि कई ग्रामीण नई शाखा को लेकर उत्साहित थे और उन्होंने बैंक के पूरी तरह चालू होने के बाद लोन लेने का मन बना लिया था। एक ग्रामीण राम कुमार चंद्रा ने कहा कि अगर फर्जी बैंक जारी रहता, तो कई लोगों ने पैसे जमा किए होते और करोड़ों की धोखाधड़ी की जा सकती थी। इस बैंक फर्जीवाड़े का शिकार हुए बेरोजगार को अब न केवल आर्थिक नुकसान बल्कि कानूनी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। उनमें से कई ने फर्जी नियुक्तियों का भुगतान करने के लिए गहने गिरवी रख दिए या लोन लिया।

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