Surjit Patar Death: पंजाब के मशहूर कवि डॉ. सुरजीत पातर (Surjit Patar) का शनिवार को निधन हो गया, वे 79 वर्ष के थे। डॉ. पातर पिछले कई साल से लुधियाना रह रहे थे। उनके निधन की खबर मिलने के बाद देशभर के साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। बढ़ती उम्र के साथ-साथ उन्हें कई बीमारियों ने घेर लिया था और वे घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। शुक्रवार तक डॉ. पातर की हालत स्थिर बताई जा रही थी। लेकिन आशापुरी स्थित निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई है।
अपने नाम में गांव का नाम कर लिया था शामिल
पंजाबी कवि, लेखक डॉ. सुरजीत पातर की रचनाएं आमजन से सीधे तौर पर जुड़ाव रखती हैं और लोग इन्हें काफी पसंद करते हैं। पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर का जन्म 14 जनवरी, 1945 को जालंधर जिले के पतड़ कलां गांव में हुआ था। उन्होंने अपने नाम में गांव के नाम को शामिल किया। 79 साल के डॉ. पातर लंबे वक्त से लुधियाना में निवासरत थे। उनका अंतिम संस्कार मॉडल टाउन एक्सटेंशन शमशान घाट में सोमवार सुबह होगा।
पंजाबी प्रोफेसर के तौर पर दे चुके थे सेवाएं
डॉ. सुरजीत पातर के परिवार में पत्नी भूपिंदर कौर पातर, बेटे अंकुर और मनराज पातर हैं। डॉ. पातर ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से मास्टर डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर से पीएचडी की उपाधि ली। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में बतौर पंजाबी प्रोफेसर अपनी सेवाएं दीं। रिटायरमेंट के बाद पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के प्रधान रहे। उन्होंने पंजाब आर्ट्स काउंसिल चंडीगढ़ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली।
यूपीए सरकार में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए
डॉ. सुरजीत पातर को 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने साहित्य क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। डॉ. पातर की कई मशहूर कविताएं हनेरे विच, हवा विच लिखे हर्फ, शब्दों का मंदिर, लफ्जां दी दरगाह, पतझड़ दी पाजेब की रचना की है।