Farmers Protest 2.0: हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान मंगलवार को सड़कों पर उतर आए। किसान अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली जाने पर अड़े हैं। किसान दिल्ली में अपना प्रदर्शन करना चाहते हैं। सरकार की ओर से किसानों को मनाने की पूरी कोशिश हुई। सोमवार की देर रात तक चंडीगढ़ में किसानों और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने बैठक की। हालांकि बात नहीं बन पाई। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे पंजाब के फतेहगढ़ से किसान दिल्ली के लिए कूच कर गए। इसके बाद से ही उन्हें दिल्ली से सटे अलग-अलग बॉर्डर पर रोकने की कवायद जारी है।
केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के बाद किसानों ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही। वहीं, सरकार ने दावा किया कि ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई थी, लेकिन कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि इस मुद्दे का हल निकले।
क्या है आंदोलन कर रहे किसानों की प्रमुख मांगे
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी:
- किसान अपनी फसलों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
- बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान एमएसपी एक सुरक्षा के रूप में कार्य करता है, जिससे किसानों के लिए स्थिर आय सुनिश्चित होती है।
- 2020-21 के आंदोलन को किसानों ने एमएसपी गारंटी कानून लाने की शर्त पर ही खत्म किया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है।
2.लखीमपुर खीरी घटना के लिए मुआवजा:
- किसान लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
- बता दें कि लखीमपुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों को ट्रैक्टर से रौंद दिया गया था, चार किसानों की मौत हुई थी
- केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा में मुख्य आरोपी बनाया गया है।
3. किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हों
- किसानों की मांग है कि 2020-21 के आंदोलन में शामिल किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
4. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली:
- किसान अधिग्रहीत भूमि के लिए उचित मुआवजे और अपने परिवारों के लिए विकसित भूखंडों का 10% आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं।
- किसान मौजूदा मुआवजे दर को अपर्याप्त बता रहे हैं। इससे किसान के भूमिहीन होने और आर्थिक संकटों में घिरने की बात कही जा रही है।
5. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से बाहर निकलना:
- किसान विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकलने और सभी व्यापार समझौतों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। यह समझौता 1994 में हुआ था।
6. पिछले आंदोलन में हुई मौतों के लिए मुआवजा:
- पिछले विरोध प्रदर्शन में मृत किसानों के परिवारों के लिए सरकारी मुआवजे की मांग की गई है। मृत किसानों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग की गई है।