Farmers Protest Updates: अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे किसानों को मनाने की केंद्र सरकार की कोशिश एक बार फिर नाकाम साबित हुई है। किसानों से केंद्र सरकार की चौथी बैठक भी विफल रही। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को केंद्र के एमएसपी से जुड़े प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। केंद्र की ओर से किसानों के सामने कथित तौर पर पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर एमएसपी का प्रस्ताव दिया गया था। किसानों ने कहा है कि दो दिन बाद यानि 21फरवरी को हम लोग दिल्ली कूच करेंगे।
सरकार की नीयत में खोट है: किसान नेता डल्लेवाल
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सोमवार शाम कहा कि सरकार की नीयत में खोट है। वह किसानों की मांगों को लेकर गंभी नहीं है। हमारी मांग है कि सरकार 23 फसलों के लिए एमएसपी का फॉर्मूला तैयार करे। सरकार ने फिलहाज जो प्रस्ताव हमारे सामने रखा है उससे किसानों को फायदा नहीं होना वाला। सरकार का प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। भारत सरकार हर साल 1.75 लाख करोड़ रुपए का पाम ऑयल इंपोर्ट करती है। अगर इतनी राशि से देश में तिलहन की खरीद की जाती तो इससे देश के किसानों को फायदा होता।
किसानों ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है
हालांकि किसानों के प्रमुख संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सरकार के प्रस्ताव सहमत नहीं हो पाया। एसकेएम ने कहा कि एमएसपी में C2+50% से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से यह प्रस्ताव रविवार की रात किसानों के साथ चौथे चरण की बैठक के दौरान रखा गया था। चौथी बैठक में केंंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय शामिल हुए थे। किसानों ने इस पर तत्काल जवाब नहीं दिया था। सोमवार को किसानों ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी।
सरकार की ओर से पांच साल के करार का था प्रस्ताव
किसानों ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी देने की योजना बना रही है। इसके लिए अध्यादेश लाने पर विचार किया जा रहा है। किसान इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हम एमएसपी पर अपनी मांगों को लेकर बरकरार हैं। किसानों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कपास,अरहर, मसूर और उड़द और मक्का समेत पांच फसलों को खरीदने के लिए पांच साल के लिए करार करने का प्रस्ताव रखा था। यह किसानों को मंजूर नहीं है।
बीजेपी के चुनावी वादे को पूरा नहीं कर रही सरकार
किसानों का दावा है कि बीजेपी ने 2014 के चुनावी घोषणापत्र में किसानों को C2+50% एमएसपी देने की बात कही थी। अब यह अपने ही वादे से मुकर रही है। बता दें स्वामीनाथन आयोग ने 2006 की अपनी रिपोर्ट में केंद्र को इसी फॉर्मूले पर एमएसपी लागू करने का सुझाव दिया था। किसान चाहते हैं कि इसी आधार पर सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी जाए। ऐसा होता है तो किसान अपनी फसल एक तय कीमत पर बेच सकेंगे। इससे वह नुकसान से बच सकेंगे। अगर मोदी सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रही है तो पीएम मोदी को इसे ईमानदारी से देश के लोगों को बताना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री एमएसपी पर नहीं दे रहे स्पष्टीकरण
संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्री किसानों के साथ चार बार बैठक कर चुके हैं। हालांकि, यह स्पष्ट करने के लिए तैयार नही कि किस आधार पर किसानों को एमएसपी देने की योजना है। सरकार एमएसपी C2+50% पर देना चाहती है या A2+FL+50% के आधार पर। केंद्रीय मंत्रियों की बैठक के दौरान इस पर पारदर्शिता नहीं दिखाई गई है। एसकेएम ने सरकार से कर्ज माफी, बिजली का प्राइवेटाइजेशन नहीं करने, सरकारी फसल बीमा योजना, 60 साल से ज्यसादा के किसानों को 10 हजार रुपए मासिक पेंशन देने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की दूसरी मांगों पर भी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।
किसान मोर्चा की रणनीति बनाने में जुटा
किसान संयुक्त मोर्चा ने रविवार को ऐलान किया था कि वह आंदोलन तेज करेगा। देश भर में सांसदों, विधायकों और प्रदेश अध्यक्षों को काले झंडे दिखाए जाएंगे। किसान मोर्चा दिल्ली में 21 और 22 फरवरी को मीटिंग करेगा। इस बैठक में सभी बड़े किसान नेताओं को बुलाया जाएगा। बैठक में आंदोलन से जुड़ी आगे की रणनीतियां तैयार की जाएंगी। इस बीच किसान नेता पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर जुटे हैं।