Katra Protests: श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (SMVDSB) द्वारा रोपवे प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को लेकर स्थानीय लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। 250 करोड़ रु. लागत से प्रस्तावित रोपवे (Vaishno Devi Ropeway) ने कटरा में स्थानीय दुकानदारों, पोनी सर्विस प्रोवाइडर्स और वर्कर्स के बीच बेरोजगारी का डर पैदा कर दिया है। इसे लेकर जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के कटरा बेस कैंप में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कई लोग घायल हुए।

Ropeway प्रोजेक्ट पर आपत्ति क्यों?
यह 2.4 किलोमीटर लंबा रोपवे तराकोटे मार्ग को सांझी छत से जोड़ेगा, जिससे 13 किलोमीटर की चढ़ाई सिर्फ 6 मिनट में पूरी की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य खासतौर से बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को आसान बनाना है। लेकिन स्थानीय लोग इसे अपनी आजीविका के लिए खतरा मान रहे हैं। लेकिन श्राइन बोर्ड ने कहा है कि रोपवे प्रोजेक्ट खासकर उन तीर्थयात्रियों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी, जो 13 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करने में असमर्थ हैं।

कटारा के प्रदर्शनकारियों की क्या हैं मांगें?
स्थानीय दुकानदार, पोर्टर और पोनी सेवा प्रदाता इस परियोजना के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह परियोजना पारंपरिक मार्ग को बायपास कर देगी, जिससे उनकी आय खत्म हो जाएगी। दुकानदार संघ के नेता प्रभात सिंह ने कहा कि हम इस रोपवे प्रोजेक्ट को लागू नहीं होने देंगे। हम पिछले तीन साल से इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। हमें पहले आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब परियोजना को आगे बढ़ा दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य बस स्टॉप को भी जाम कर दिया है, जो वैष्णो देवी के लिए बस सेवाओं का मुख्य केंद्र है।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक वाहन को रोकने की कोशिश की गई, जिससे झड़पें हुईं। व्हीकल का शीशा तोड़ दिया गया और पुलिस को स्थिति संभालने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई। इस मामले में रियासी के एसएसपी परमवीर सिंह ने कहा कि इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है। हम प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।"

हर साल लाखों तीर्थयात्री पहुंचते हैं वैष्णो देवी 
रोपवे प्रोजेक्ट के विरोध में 22 नवंबर को 72 घंटे की हड़ताल की घोषणा की गई थी, जिसे एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया। प्रदर्शनकारी या तो परियोजना को पूरी तरह वापस लेने या अपने संभावित आर्थिक नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। बता दें कि वैष्णो देवी मंदिर में हर साल 80 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच गतिरोध बढ़ता जा रहा है।