Buddhadeb Bhattacharya Death: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार सुबह कोलकाता स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने बुद्धदेव के निधन की पुष्टि की। भट्टाचार्य ने गुरुवार सुबह 8.30 बजे अंतिम सांस ली। पश्चिम बंगाल में 34 साल तक वाम मोर्चा के शासन के दौरान भट्टाचार्य ने दूसरे और आखिरी सीपीएम मुख्यमंत्री के रूप में 2000 से 2011 तक लगातार 11 साल तक जिम्मेदारी संभाली थी।
भट्टाचार्य को 29 जुलाई को कई बीमारियों के चलते कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया का इलाज चल रहा था और उन्हें वेंटिलेशन पर रखा गया था। इलाज का ज्यादा फायदा नहीं मिलने पर 9 अगस्त को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। इसके बाद वे घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे।
बांग्लादेश के निवासी थे बुद्धदेव के दादा
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके दादा कृष्णचंद्र स्मृतितीर्थ मौजूदा बांग्लादेश के मदारीपुर जिले के रहने वाले थे और एक संस्कृत स्कॉलर, पुजारी और लेखक भी थे। बुद्धदेव भट्टाचार्य की शुरुआती पढ़ाई कोलकाता के शैलेन्द्र सरकार स्कूल से हुई और इसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य में बी.ए ऑनर्स की डिग्री हासिल की।
सीएम ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया
बुद्धदेव को पश्चिम बंगाल की औद्योगिक क्रांति के लिए जाना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना हैं। पद्म भूषण सम्मान लेने से मना करने वाले बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। साल 2022 में उन्हें पद्म भूषण देने की घोषणा की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया।
कहा था- मोदी का पीएम बनना देश के लिए खतरनाक
2014 के लोकसभा चुनावों में एनडीए की सरकार आने और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर भट्टाचार्य ने कहा था कि मोदी का पीएम बनना देश के लिए खतरनाक होगा। भट्टाचार्य के मुख्यमंत्री बनने के बाद बंगाल की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई। उन्होंने बंगाल में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें नुकसान हुआ। 2011 के पश्चिम बंगाल चुनाव में वे अपने ही पूर्व मुख्य सचिव मनीष गुप्ता से 16,684 मतों से हार गए थे।