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रतन टाटा के निधन के एसपीजी के पूर्व अधिकारी ने असीम अरुण ने अपनी मुलाकात और उनके साथ बातचीत का दिलचस्प किस्सा शेयर किया है।

Ratan Tata: देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई में निधन हो गया। अपने सामाजिक कार्यों और चैरिटी के लिए मशहूर रतन नवल टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। रतन टाटा ने अपना पूरा जीवन बहुत ही सादगी के साथ जिया। वह हमेशा बिना किसी सुरक्षा के आना जाना पसंद किया करते थे। अब एसपीजी के पूर्व अधिकारी ने उनकी स्वाभाविकता और सहजता से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया और बताया कि वह क्यों सुरक्षा के साथ चलना पसंद नहीं करते थे।

पूर्व एसपीजी अधिकारी ने बताया रतन टाटा से जुड़ा किस्सा

उद्योगपति रतन टाटा की सुरक्षा को लेकर एक किस्सा पूर्व एसपीजी अधिकारी असीम अरुण ने शेयर किया है। असीम अरुण ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि जब रतन टाटा जी ने एसपीजी को सिखाया था उत्कृष्टता का नुस्खा... वाक्या 2007 या 2008 का होगा, जब मैं एसपीजी में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, 'जीरो एरर' यानी 'त्रुटी शून्य' और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है। इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया, जिसमें रतन टाटा जी को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।

SPG में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी मुझे मिली। निश्चित समय पर मैं उन्हें एस्कॉर्ट करने के लिए ताज मानसिंह होटल, नई दिल्ली पहुंच गया। मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं। प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में। उनको लेकर जब हम निकलने लगे, तो उन्होंने मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया और यहां शुरू हुआ मेरे जीवन का एक सुंदर पन्ना।

50 साल पुरानी मर्सिडीज से चलते थे रतन टाटा

करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर, ऐसे चलते थे रतन टाटा। मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है तो सहजता से बोले मुझे भला किससे खतरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए, जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले- मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई।

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हटवा दिया था एसपीजी का पायलट

इस दौरान मैंने पायलट करने के लिए उनकी गाड़ी के आगे एक एसपीजी की टाटा सफारी लगा रखी थी। जब उनका ध्यान इस गाड़ी पर गया तो वह बहुत असहज हो गए और बोले इसे हटवा दीजिए। मेरी बुद्धि कह रही थी कि एसपीजी का पायलट पाकर, कोई भी आदमी अपना कालर खड़ा कर लेगा, लेकिन जब तक पायलट हटा नहीं टाटा जी को चैन नहीं आया।

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