Gaganyaan Mission: भारत के 4 अंतरिक्ष यात्री मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष में जाएंगे। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए क्या करना पड़ता है? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो अंतरिक्ष युग की शुरुआत 1960 के दशक से पूछा जाता रहा है। उन दिनों पायलटों को इसके लिए सबसे उपयुक्त माना जाता था। लेकिन अब यह अवधारण बदल चुकी है। डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और यहां तक कि शिक्षकों ने भी अंतरिक्ष में जाने के लिए प्रशिक्षण लिया है।
राकेश शर्मा पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे। वे 1984 में स्पेश मिशन पर गए थे। कई लोगों का सपना होता है कि वे भी अंतरिक्ष यात्री बनें। तो आइए जानते हैं कैसे आप अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं?
शरीर के साथ मन भी हो फिट
अंतरिक्ष यात्री बनना आसान नहीं है। जो लोग अंतरिक्ष यात्री बनना चाहते हैं, उन्हें स्वस्थ्य होना चाहिए। उनमें कठिन परिस्थितियों का सामना करने की काबिलियत होनी चाहिए। इसके लिए सबसे जरूरी उनकी फिटनेस है। लिफ्ट-ऑफ की कठिनाइयों को सहन करने और भारहीनता में कार्य करने की क्षमता होनी चाहिए। अंतरिक्ष यात्रियों की लंबाई कम से कम 147 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। लेकिन अधिकांश अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षुओं की आयु 25 से 46 वर्ष के बीच रही है।
मल्टीटास्किंग में होना चाहिए माहिर
जो लोग अंतरिक्ष में जाते हैं वे आमतौर पर जोखिम को संभालने वाले, तनाव प्रबंधन और मल्टीटास्किंग में माहिर होते हैं। उन्हें किसी भी असाइनमेंट के लिए एक टीम के हिस्से के रूप में काम करने में सक्षम होना चाहिए। सबसे जरूरी बात कि साइंस, टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग में मास्टर्स होना चाहिए।
1000 घंटे का पायलट इन कमांड का अनुभव होना चाहिए
एक बार जब किसी अंतरिक्ष यात्री को किसी देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में स्वीकार कर लिया जाता है, तो उसे अंतरिक्ष में रहने और काम करने के लिए कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। यदि अंतरिक्ष यात्री वायुसैनिक है तो उसे 1000 घंटे का पायलट इन कमांड का अनुभव होना चाहिए। यदि अनुभव नहीं है तो उसे विमान उड़ाना सिखाया जाता है। सभी अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार आपात स्थिति के मामले में प्राथमिक चिकित्सा और चिकित्सा देखभाल की बुनियादी बातें सीखते हैं।
भारहीन वातावरण में काम करना सीखना होगा
अंतरिक्ष का वातावरण अलग होता है। जैसे गुरुत्वाकर्षण है। पृथ्वी पर लोगों ने 1G गुरुत्वाकर्षण खिंचाव को अपना लिया है। हमारा शरीर 1G में कार्य करने के लिए विकसित हुआ। हालांकि, अंतरिक्ष पर माइक्रोग्रैविटी होती है। इसलिए पृथ्वी पर अच्छी तरह से काम करने वाले सभी शारीरिक कार्यों को लगभग भारहीन वातावरण में रहने की आदत डालनी होगी। शुरुआत में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह शारीरिक रूप से कठिन होता है, लेकिन वे इसके अनुकूल ढल जाते हैं और ठीक से चलना सीख जाते हैं। अंतरिक्ष यात्रा अंतरिक्ष यात्रियों और पर्यटकों दोनों के लिए एक बहुत ही नाजुक, खतरनाक और चुनौतीपूर्ण गतिविधि होती है।