Ganesh Chaturthi Moon sighting: आज देश भर में उत्साह और उमंग के साथ गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के मौके पर चांद देखने से 'मिथ्या दोष' होता है। इस दोष की वजह से झूठे आरोपों और गलतफहमियों का शिकार बनना पड़ सकता है। इस दोष से बचने के लिए लोग इस दिन चांद देखने से परहेज करते हैं। यह परंपरा एक पौराणिक कथा से जुड़ी है, जिसमें भगवान कृष्ण को भी इस दोष का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं, गणेश चतुर्थी पर चांद क्यों नहीं देखना चाहिए और इससे कैसे बचा जा सकता है।
इसय साल 17 सितंबर तक चलेगा गणेश उत्सव
गणेश चतुर्थी भारत के सबसे धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। खासतौर पर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में इसे बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। इस साल यह पर्व 7 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान, गणेश पंडालों में भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना होती है और भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
जानें, क्यों नहीं देखना चाहिए चांद (Moon sighting on Ganesh Chaturthi)
गणेश चतुर्थी पर चांद देखना अशुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश एक बार भगवान कुबेर के महाभोज में शामिल हुए थे। भोजन के बाद जब गणेश जी अपने वाहन मूषक पर सवार होकर लौट रहे थे, तब चंद्रमा ने उनका उपहास उड़ाया। इससे नाराज होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि जो कोई भी चतुर्थी के दिन चांद को देखेगा, वह झूठे आरोपों का सामना करेगा। इस कारण इस दिन चांद देखना वर्जित है।
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जानें, क्या हैं मिथ्या दोष से बचने के उपाय
यदि गलती से गणेश चतुर्थी पर चांद देख लिया जाए, तो 'मिथ्या दोष' (Mithya Dosham) से बचने के लिए एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र है: "सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः, सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।" इसके अलावा, भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से भी इस दोष का प्रभाव कम हो सकता है। भगवान कृष्ण ने भी इसी दोष का सामना किया था और उन्होंने व्रत कर इस दोष से छुटकारा पाया था।
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गणेश चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी पर पूजा का सबसे शुभ समय 'मध्यान्ह' यानी दोपहर का होता है। 2024 में गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:35 बजे तक है। इस दौरान भक्त भगवान गणेश की पूजा करके उनसे समृद्धि, बुद्धि और सफलता की कामना करते हैं। इसके अलावा, इस दिन चांद को न देखने का समय सुबह 9:30 बजे से रात 8:45 बजे तक रहेगा।
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गणेश विसर्जन का क्या है महत्व
गणेश चतुर्थी केवल भगवान गणेश के जन्म का पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन के चक्र का प्रतीक भी है। जब गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, तो इसे जीवन और मृत्यु के चक्र के अंत के रूप में देखा जाता है। इस त्योहार का उद्देश्य न केवल भगवान गणेश की पूजा करना है, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन की बाधाओं को भी दूर करना है। इस पर्व के दौरान लोग नई शुरुआत और सफलताएं पाने की कामना करते हैं।
कैसे भारत में लोकप्रिय हुआ गणेश चतुर्थी का त्योहार
गणेश चतुर्थी को लोकप्रिय बनाने का श्रेय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है, जिन्होंने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया था। तिलक ने इस पर्व को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा की शुरुआत की, जिससे यह पूरे भारत में एक बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बन गया। आज यह पर्व हर साल लाखों लोगों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।