Drugs Planting Case: गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट को 20 साल की सजा, फर्जी ड्रग्स केस में करीब 3 दशक बाद दोषी करार

Sanjiv Bhatt Drugs Planting Case
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Sanjiv Bhatt Drugs Planting Case
Sanjiv Bhatt Drugs Planting Case: पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को कथित अपराध के 22 साल बाद सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया। इसके 6 साल बाद कोर्ट ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।  

Sanjiv Bhatt Drugs Planting Case: गुजरात के पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट को राज्य की एक अदालत ने गुरुवार को 20 साल की सजा सुनाई। गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर कोर्ट ने बुधवार को उन्हें 1996 के कथित ड्रग प्लांटिंग केस में अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। संजीव भट्ट पर वकील को फंसाने के लिए ड्रग्स प्लांट करने का आरोप था। संजीव भट्ट ने 2011 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने का आरोप भी लगाया था। हालांकि, बाद में उनका दावा गलत साबित हुआ।

संजीव भट्ट कई संगीन अपराधों के दोषी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, संजीव भट्ट को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट की धारा 21(सी), 27ए (अवैध तस्करी के वित्तपोषण और अपराधियों को शरण देने के लिए सजा), 29 (एनडीपीएस एक्ट के तहत क्राइम के लिए उकसाना और आपराधिक साजिश), 58(1) और (2) (तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी) में दोषी माना गया है। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 465 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज तैयार करने), 167 (चोट पहुंचाने के इरादे से लोक सेवक द्वारा गलत दस्तावेज तैयार करना), 204 (किसी दस्तावेज को छिपाना या नष्ट करना), 343 (गलत तरीके से दस्तावेज़ बनाना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और दफा 34 के मामले में दोषी ठहराया गया है।

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि संजीव भट्ट 1996 में जिला पुलिस अधीक्षक थे। यह केस राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित से जुड़ा है। तब 1996 में पालनपुर के होटल में 1.15 किलोग्राम अफीम रखने के आरोप में वकील को गिरफ्तार किया गया था। वकील ने दावा किया था कि उन्हें झूठे आरोप में फंसाने के लिए ड्रग्स प्लांट की गई है।

उम्रकैद की सजा काट रहे हैं संजीव भट्टा
संजीव भट्ट इन दिनों उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 1990 के कस्टोडियल डेथ केस में भट्ट और एक अन्य पुलिस अफसर प्रवीण सिंह जाला दोषी पाए गए थे। कोर्ट ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। संजीव भट्ट 1990 में जामनगर में एएसपी के पद पर तैनात थे। तब उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान दंगा केस में 150 लोगों को हिरासत में लिया था। इन्हीं में से एक आरोपी की कथित टॉर्चर के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।

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