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Russia-Ukraine War: मृतक के परिवार का आरोप है कि एक एजेंट ने रवि को नौकरी के लिए रूस भेजा था, लेकिन वहां उसे रूसी सेना में शामिल करा दिया। पूर्वी यूरोप में रूस-यूक्रेन संघर्ष फरवरी 2022 से जारी है।

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध में मोर्चे पर तैनात एक भारतीय युवक की जान चली गई। वह हरियाणा के कैथल का रहने वाला था और उसे झांसा देकर रूसी सेना में भर्ती कराया गया था। जिससे बाद रूसी सेना ने उसे यूक्रेनी सैनिकों से मुकाबले के लिए अग्रिम मोर्चे पर भेज दिया था। यूक्रेन बॉर्डर पर मारे गए युवक के परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उसका शव भारत लाने के लिए मदद की गुहार लगाई है। बता दें कि पूर्वी यूरोप में रूस-यूक्रेन संघर्ष फरवरी 2022 से जारी है।

दूतावास से जानकारी मांगी तो मौत का खबर आई

  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैथल जिले के मतौर गांव का रहने वाला रवि मौन (22 साल) इसी साल 13 जनवरी को एक "ट्रांसपोर्ट जॉब" के लिए रूस गया था। उसके भाई अजय मौन ने दावा किया है कि रवि को धोखे में रखकर रूस की सेना में भर्ती करा दिया गया। परिवार ने सोमवार को कहा कि रवि को रूसी सेना ने यूक्रेनी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई के लिए मोर्चे पर भेजा था। 
  • अजय के मुताबिक, मास्को स्थित भारतीय दूतावास ने रवि मौन के मारे जाने की पुष्टि की है। उसने 21 जुलाई को दूतावास को पत्र लिखकर अपने भाई के बारे में जानकारी लेनी चाही थी। इसके जबाव में दूतावास ने बताया कि वह मर चुका है। अब एंबेसी ने रवि की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है।


'एजेंट ने रवि को धोखे से रूसी सेना ज्वाइन कराई'

  • बकौल अजय एक एजेंट ने रवि को नौकरी के लिए रूस भेजा था, लेकिन वहां उसे रूसी सेना में शामिल करा दिया। अजय का आरोप है कि रूसी सेना ने उनके भाई को यूक्रेनी बलों के खिलाफ लड़ने के लिए मोर्चे पर जाने या 10 साल जेल भुगतने का ऑप्शन दिया था। इसके बाद 12 मार्च तक रवि परिवार के संपर्क में रहा और वह काफी परेशान था।
  • मृतक के भाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रवि के पार्थिव शरीर को भारत लाने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, "हमारे पास उसे वापस लाने के लिए पैसे नहीं हैं। परिवार ने एक एकड़ जमीन बेचकर रवि को रूस भेजने के लिए 11.50 लाख रुपए खर्च किए थे।

बता दें कि रवि मौन की तरह कई भारतीय युवा यूक्रेन बॉर्डर पर रूसी सेना की ओर से लड़ रहे हैं, जिन्हें दलालों ने धोखा देकर सेना में भर्ती करा दिया। वे खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं और कई बार भारत सरकार से उन्हें वापस लाने की गुहार लगा चुके हैं। जुलाई की शुरुआत में रूस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति  व्लादिमीर पुतिन के सामने भारतीय नागरिकों के शीघ्र रिहाई और वापसी का मुद्दा उठाया था। इस पर रूस ने सहमति जताई है। पिछले महीने विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूसी सेना में काम करने वाले भारतीयों का मुद्दा "अत्यधिक चिंता का विषय" है। पूर्वी यूरोप में रूस-यूक्रेन संघर्ष फरवरी 2022 से जारी है।

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