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Haryana Assembly Number game: हरियाणा में मंगलवार को एक बार फिर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। तीन निर्दलीय विधायकों ने अचानक राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। ऐसे में समझिए कि आगे क्या होगा। क्या राज्य की बीजेपी सरकार गिर जाएगी? राज्य विधानसभा का क्या है नंबरगेमर?

Haryana Assembly Number game: हरियाणा में मंगलवार को एक बार फिर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। तीन निर्दलीय विधायकों ने अचानक राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जिन तीन विधायकों का अचानक से हृदय परिवर्तन हुआ उनमें पुंडरी विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी विधायक धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। इन तीनों विधायकों ने आनन-फानन में कांग्रेस को अपना समर्थन देने का भी ऐलान कर दिया है। लगे हाथ कांग्रेस ने यह दावा कर दिया कि राज्य की बीजेपी सरकार अल्पमत में है और सीएम नायाब सिंह सैनी को इस्तीफा देना चाहिए। वहीं, बीजेपी ने दावा किया है कि चिंता कि कोई बात नहीं है।

निर्दलीय विधायकों ने क्यों लिया समर्थन वापस?
बीजेपी से समर्थन वापस लेने वाले तीनों विधायकों ने मंगलवार रात रोहतक में प्रेस कॉन्फेंस बुलाई। इसमें हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदय भान भी मौजूद रहे है। निर्दलीय विधायक गोंदर ने मीडिया को संबोधित करते हुए हुए कहा कि हमने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है और अब कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं। हमने किसानों के साथ ही कई अन्य मुद्दों पर गौर करते हुए राज्य की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया है। 

13 मार्च को नायाब सिंह सैनी ने ली थी सीएम पद की शपथ
बता दें कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसी साल 12 मार्च को हरियाणा के सीएम बने थे। इसके एक दिन बाद 13 मार्च को भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आए थे। हालांकि, कांग्रेस विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रही थी और अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था। अब एक बार फिर कांग्रेस ने यह दावा किया है कि राज्य की हरियाणा सरकार अल्पमत में है।

हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्ट्रेंथ 88 विधायकों की है
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदय भान ने कहा कि 90 सदस्यों वाले हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्ट्रेंथ 88 विधायकों की है। बीजेपी सरकार से जेजेपी अपना समर्थन पहले ही वापस ले चुकी है। अब तीन निर्दलीय विधायक भी इससे दूर हो चुके हैं। ऐसे में राज्य की बीजेपी सरकार अल्पमत में आ चुकी है। अब सीएम नायाब सिंह सैनी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। 

क्या बीजेपी पर होगा इस सियासी उलटफेर का असर?

  • हरियाणा में अचानक हुए इस सियासी उलटफेर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या राज्य की हरियाणा सरकार पर कोई असर होगा। इदस सवाल का उत्तर है कि बीजेपी सरकार की सेहत पर इन तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने का कोई असर नहीं होने वाला है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी के पास मौजूदा समय में 45 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें से 40 विधायक तो बीजेपी के ही हैं और पांच अन्य निर्दलीय हैं।
  • वहीं, कांग्रेस के पास फिलहाल 30 विधायकों का ही समर्थन है। अगर ये तीनों विधायक कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो भी कांग्रेस के पास 33 विधायकों का ही समर्थन होगा। जेजेपी के पास 10 विधायक हैं, अगर कांग्रेस जेजेपी के सभी विधायकों का समर्थन भी हासिल कर ले तो यह 43 के आंकड़ा पर पहुंच जाएगी जो कि बीजेपी के पास मौजूद विधायकों से दो कम होगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए कोई मौका नहीं है कि वह सरकार बनाने का दावा पेश करे। 

क्या बीजेपी सरकार के सामने आएगी बहुमत साबित करने की नौबत?
मौजूदा सियासी बदलाव के बाद एक और सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या बीजेपी सरकार के सामने बहुमत साबित करने की नौबत आएगी। तो इसका भी जवाब नहीं है। इसकी वजह भी जान लीजिए। दरअसल 13 मार्च को ही सीएम नायाब सिंह ने बहुमत साबित करने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। लोक प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक एक बार अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने या एक बहुमत की सरकार के खिलाफ 6 महीने के भीतर दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

कब लाया जा सकता है हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव‍?
ऐसे में अगर कांग्रेस को हरियाणा की बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना है तो 4 महीने पूरे होने यानी कि 13 सितंबर तक इंतजार करना ही होगा। हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में अगर कांग्रेस 13 सितंबर तक जोड़ तोड़ कर किसी तरह सरकार बना भी लेती है तो महीने दो महीने से ज्यादा सत्ता सुख नहीं भोग पाएगी।

एक नजर डालते हैं हरियाणा विधानसभा के नंबरगेम पर
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। सरकार बनाने यानि की बहुमत साबित करने का मैजिक नंबर 46 है। आसान शब्दों में समझें तो किसी भी पार्टी को यदि सरकार बनानी है तो उसे कम से कम 46 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्य में मौजूदा समय में दो सीटें खाली पड़ी है, इसके बाद 88 सीटें बची हुई हैं। अब यह समझ लीजिए कि यह दोनों सीटों क्यों खाली हैं।
पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल से लोकसभ चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए उनकी एक सीट खाली है, क्योंकि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, एक सीट हरियाणा के पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे की वजह से खाली पड़ी है। चौटाला हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी के कैंडिडेट हैं। दअरसल बीजेपी में शामिल होने से पहले रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय विधानसभा चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में बीजेपी जॉइन कर लिया। बीजेपी में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दे दिया। 

अब समझिए हरियाणा विधानसभा का क्या है नंबरगेम?
इन दोनों सीटों के खाली होने के बाद मौजूदा समय में हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने का मैजिक फिगर 45 हो चुका है। बीजेपी के पास अपने 40 विधायक तो हैं, साथ ही 2 निर्दलीय और गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी का एक विधायक भी बीजेपी के समर्थन में है। कांग्रेस ने जैसे ही बीजेपी सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया बीजेपी ने यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि उसके पास पूर्ण बहुमत है।
बीजेपी के मुताबिक, इन तीन विधायकों के साथ छोड़ने के बाद भी पार्टी के पास 47 विधायकों का समर्थन है। पार्टी के मुताबिक, इसके पास जेजेपी के चार विधायकों, एचएलपी के एक विधायक और दो अन्य निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। ऐसे में यह साफ है कि भले ही कांग्रेस कितने भी सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर ले, फिलहाल हरियाणा की बीजेपी सरकार काे कोई खतरा नहीं है। 

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