Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हिंडनबर्ग-अडानी ग्रुप विवाद पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सख्त सवाल उठाए। जिसमें अडानी समूह को निशाना बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत हैं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह भी कहा कि सेबी को मीडिया रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने के लिए नहीं कहा जा सकता है।
हम रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे हैं
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि हमें विदेशी रिपोर्टों को सच क्यों मानना चाहिए? हम रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें सबूत चाहिए। तो आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत है?
सेबी ने भी रिपोर्ट को किया था खारिज
दरअसल, जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (ओसीसीआरपी) ने दो विदेशी निवेशकों के माध्यम से अडानी समूह में अंदरूनी व्यापार का आरोप लगाया था। अडानी समूह ने आरोपों को खारिज कर दिया था। यह भी कहा था कि उन्हें विदेशी मीडिया द्वारा उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने भी विदेशी गैर-लाभकारी (एनजीओ) से आई रिपोर्ट को अविश्वसनीय बताते हुए खारिज कर दिया।
तो हमारी एजेंसियां क्या करेंगी?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर हम ऐसी रिपोर्टों पर कार्रवाई करेंगे तो हमारी एजेंसियां क्या करेंगी? विदेशी रिपोर्टों द्वारा भारतीय नीतियों को प्रभावित करने का एक नया चलन है।