Independence Day: मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुरुवार (15 अगस्त) को बीजेपी कार्यकर्ताओं को बाइक रैलियां निकालने के लिए हरी झंडी दी। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने कहा कि इनकार करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने स्वतंत्रता दिवस रैलियों की मंजूरी देने के साथ डीजीपी को भविष्य में ऐसी अनुमतियों के इनकार से बचने का निर्देश जारी किया है। बता दें कि पुलिस ने 10 अगस्त को रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसे बीजेपी युवा मोर्चा ने चुनौती दी थी।

तिरंगा रैली पर रोक को लेकर हाईकोर्ट का सख्त रवैया

  • इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जी जयचंद्रन ने न केवल रैलियों की अनुमति दी, बल्कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी अनुमति देने से इनकार न किया जाए, बशर्ते कि प्रतिभागी राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और यातायात व कानून व्यवस्था बनाए रखें।
  • राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) जे रविंद्रन ने तर्क दिया कि यह मामला राजनीतिक नहीं था, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार की स्थिति चाहे जो भी हो, वह कानूनी स्थिति को स्पष्ट करेगी। कोर्ट ने पूछा, "हर साल राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए नागरिकों को अदालत की अनुमति क्यों लेनी पड़ती है?"

BJP युवा मोर्चा सचिव ने याचिका में दिया था ये तर्क
मद्रास हाईकोर्ट ने यह निर्देश बीजेपी युवा मोर्चा के कोयंबटूर जिला सचिव ए कृष्ण प्रसाथ द्वारा दायर याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने कोवाई उत्तर के डीएसपी के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसने 15 अगस्त को पश्चिमी तमिलनाडु के चार स्थानों पर करीब 200 दोपहिया वाहनों की राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) रैली निकालने के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया था। याचिका में कृष्ण प्रसाथ ने तर्क दिया कि स्वतंत्रता दिवस देश के लिए अपने जीवन, आत्मा और मन का बलिदान करने वाले महापुरुषों का सम्मान करने का दिन है। आजादी का संघर्ष याद करने का मौका है।