India on US Court Summons: भारत ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश पर अमेरिकी अदालत की ओर से जारी समन को "पूरी तरह अनुचित" बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर गुरुवार(19 सितंबर) को कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिसरी ने कहा कि यह मामला भारत की संप्रभुता और विदेश नीति से जुड़ा है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। भारत ने स्पष्ट किया कि देश किसी भी तरह की आतंकवाद के समर्थन के खिलाफ है और ऐसे आरोपों को खारिज करता है।
खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या का मामला
इस मामले में भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए कथित साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। अमेरिकी अदालत ने इस पर समन जारी किया है। मामले में भारत के कुछ अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। आरोप लगाया गया है कि भारत ने इस आतंकवादी की हत्या की साजिश रची थी। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है। यह मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
#WATCH | When asked if the Khalistan issue will be discussed during PM Modi and US President Biden's bilateral meeting, Foreign Secretary Vikram Misri says, "As we have said earlier, whatever issues are of mutual concern between India and America, we discuss them all. Whether any… pic.twitter.com/pZgWHtDajJ
— ANI (@ANI) September 19, 2024
'पन्नू का आपराधिक रिकॉर्ड पहले से पता है'
विदेश मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्च-स्तरीय समिति पहले से काम कर रही है।पन्नू का आपराधिक रिकॉर्ड पहले से ही पता है और वह एक अवैध संगठन से जुड़ा है। पन्नू कट्टरपंथी 'सिख्स फॉर जस्टिस' का नेतृत्व करता है। यह संगठन भारतीय संस्थानों और नेताओं के खिलाफ उकसाने वाले भाषण देता है। भारत ने पन्नू को 2020 में आतंकवादी घोषित किया था।
इस मामले में NSA डोभाल भी हैं आरोपी
अमेरिकी अदालत के इस समन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख समंत गोयल, रॉ एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता का नाम शामिल है। अदालत ने इनसे 21 दिनों के अंदर जवाब मांगा है। बता दें कि गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। पन्नू की हत्या की साजिश का दावा नवंबर में, एक ब्रिटिश अखबार ने किया था। इस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिकी अधिकारियों ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम किया है। इसके बाद अमेरिका के बाइडेन प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि भी की थी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुद्दे पर क्या कहा
भारत ने इस मामले पर कहा कि यह चिंता का विषय है और भारत ने इस पर उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। हालांकि, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस साल मई में कहा था कि इस मामले की जांच जारी है, लेकिन इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले से भारत और अमेरिका के रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध लगातार बढ़ रहे हैं और इस मुद्दे से इन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अमेरिका-भारत के संबंधों पर हो सकता है असर
यह मामला भारत और अमेरिका के संबंधों पर भी असर डाल सकता है। दोनों देश कई मोर्चों पर सहयोग कर रहे हैं। खासकर रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देश साथ मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन ऐसे मुद्दों से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो सकता है। भारत ने इस मामले पर अमेरिका से स्पष्टीकरण मांगा है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे आरोप दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हमें इस मामले में अमेरिका से उचित कार्रवाई की उम्मीद है।
#WATCH | On designated terrorist Gurpatwant Singh Pannun filed lawsuit against Indian govt in US over 'assassination' attempt, Foreign Secretary Vikram Misri says, "As we've said earlier, these are completely unwarranted and unsubstantiated imputations. Now that this particular… pic.twitter.com/qAbYrc177C
— ANI (@ANI) September 19, 2024
भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति स्पष्ट
भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। चाहे वह देश के अंदर हो या बाहर, भारत किसी भी आतंकवादी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करता है। भारत का मानना है कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठन वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इस मामले में भारत का रुख स्पष्ट है कि वह किसी भी आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। भारत ने कहा कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और यह सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा है।
खालिस्तान मुद्दे पर भारत ने अपनाया है सख्त रुख
भारत ने खालिस्तान मुद्दे पर हमेशा सख्त रुख अपनाया है। खालिस्तानी संगठन भारत की अखंडता के खिलाफ काम करते हैं। खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ भारत सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। भारत का कहना है कि खालिस्तानी आतंकवादी विदेशों में बसे भारतीयों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में भी, खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इसका विरोध किया है।
अमेरिका की ओर से नहीं आई है प्रतिक्रिया
अभी तक अमेरिकी सरकार ने इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, अमेरिकी अदालत ने इस मामले में समन जारी किया है। यह देखना होगा कि अमेरिका इस मामले को कैसे हैंडल करता है। भारत और अमेरिका के संबंधों को देखते हुए, यह मामला कूटनीतिक स्तर पर सुलझाया जा सकता है। भारत ने इस मामले पर कहा है कि उम्मीद है कि अमेरिका से इस मुद्दे को बढ़ावा नहीं देगा।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बना यह मुद्दा
यह मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भारत का कड़ा रुख और अमेरिका के साथ संबंधों पर इसके असर को लेकर इंटरनेशनल मीडिया में भी चर्चा में है। भारत ने कहा है कि वह इस मामले में किसी भी तरह की गलत सूचना को खारिज करता है और अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। अमेरिका और भारत के बीच इस मुद्दे पर आगे की बातचीत पर सभी की नजरें टिकी हैं।