India Pakistan Stubble Burning Dispute: भारत और पाकिस्तान के बीच पराली जलाने के मामले में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। पाकिस्तान की एक मंत्री ने भारत पर वायु प्रदूषण का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत से उठने वाला धुआं हमारे शहरों पर असर डाल रहा है। इसके जवाब में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (GNDU) के एक प्रोफेसर ने कहा कि इसके लिए केवल पंजाब को दोषी ठहराना सही नहीं है। बीते कुछ साल से सीमावर्ती क्षेत्रों में स्मॉग और प्रदूषण से दोनों देश गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

पंजाब में पराली जलाने पर सख्ती
भारत के पंजाब राज्य में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। राज्य सरकार ने अब तक 1,342 एफआईआर दर्ज की हैं और 15.25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसमें से 13.47 लाख रुपए वसूले भी जा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से अब तक 1,995 घटनाओं में से 1,734 घटनाएं पंजाब में दर्ज हुई हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी मामले में दखल दिया और प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने पर जोर दिया है। 

पाकिस्तान में भी बढ़ रहा पराली का संकट
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में 71 किसानों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया और 182 शिकायतें दर्ज हुईं। लेकिन पाकिस्तान में इस पर अब तक कोई ठोस अध्ययन नहीं हुआ है, जिससे स्थानीय स्तर पर स्थिति की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान से आने वाली हवाएं भारतीय पंजाब में प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन रही हैं, जो दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। 

सर्दियों में बढ़ता है प्रदूषण का असर
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों के दौरान हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर होती है। ऐसे में पाकिस्तान में जलाई गई पराली का धुआं भारतीय पंजाब और दिल्ली तक पहुंचता है। IIT दिल्ली के शहजाद गनी के अनुसार, पराली के अलावा मौसम का भी प्रदूषण पर बड़ा प्रभाव है। ठंड के मौसम में हवा के कण जमीन की ओर आते हैं, जिससे प्रदूषण का असर ज्यादा होता है।

दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान कम
GNDU के प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन का कहना है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए केवल पंजाब को दोष देना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर बयान दिया था कि एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनाए गए कानूनों का उचित पालन नहीं हो रहा। दिल्ली के प्रदूषण में केवल पराली का ही योगदान नहीं है, बल्कि कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। 

प्रदूषण से निपटने के लिए उपाय की कमी
पाकिस्तान ने पिछले साल UAE की मदद से लाहौर में कृत्रिम बारिश की थी, लेकिन इसका असर केवल कुछ दिनों तक ही रहा। वहीं, भारत में भी ऐसे प्रयास किए गए थे, लेकिन उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। प्रोफेसर घुमन के अनुसार, छोटे और गरीब किसान पराली को खुद नष्ट नहीं कर सकते और उन्हें सरकार की ओर से सहायता की जरूरत है। सरकारों को प्रदूषण से निपटने के लिए सही विकल्प अपनाने पर जोर देना चाहिए।