India UNSC permanent seat: भारत के UNSC का स्थाई मेंबर बनने की उम्मीदें बढ़ती नजर आ रही हैं। फ्रांस और अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी भारत को UNSC की स्थाई सदस्यता देने का समर्थन किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दुनिया के बड़े नेता संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग कर रहे हैं।

फ्रांस और अमेरिका के राष्ट्रपति पहले ही भारत के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर चुके हैं। इस समर्थन के बाद UNSC की स्थाई सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी मजबूत हुई है।  वैश्विक मंच पर यह कदम भारत के लिए कूटनीतिक रूप से काफी अहम साबित हो सकता है।

सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर जोर
कीर स्टार्मर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि UNSC का चार्टर 1945 में बना था। इसे करीब 8 दशक पहले की वैश्विक स्थिति के हिसाब से तैयार किया गया था, जबकि आज का ग्लोबल सिनेरियो काफी बदल चुका है। स्टारमर ने कहा कि UN सुरक्षा परिषद (Security Council) में और ज्यादा सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि यह वैश्विक मुद्दों पर सही तरीके से काम कर सके। की स्टारमर ने कहा कि UNSC में अफ्रीकी देशों, भारत, जापान, जर्मनी, और ब्राजील जैसे देशों को स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। ऐसा होने पर,UNSC अधिक प्रासंगिक और एक्टिव ढंग से काम कर सकेगा। 

भारत को स्थायी सदस्यता से क्या फायदा होगा?  
भारत को UNSC की स्थायी सदस्यता मिलने से  कई कूटनीतिक और सामरिक लाभ होंगे। सबसे अहम यह होगा कि भारत को ग्लोबल सिक्योरिटी और शांति से जुड़े मुद्दों पर फैसला लेने का सीधा अधिकार मिल जाएगा। इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय विवादों और नीतिगत निर्णयों में ज्यादा असरदार भूमिका निभाने का मौका मिलेगा। इससे दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। भारत UN काउंसिल में खुद अपनी और दूसरे विकासशील देशों की आवाज को मजबूती उठा सकेगा। 

विकासशील देशों की आवाज को मिलेगा मंच  
भारत हमेशा से विकासशील देशों के हितों का समर्थन करता रहा है। यदि भारत UNSC का स्थायी सदस्य बनता है, तो यह विकासशील देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर और भी मजबूत करेगा। इससे वैश्विक मुद्दों पर इन देशों की समस्याओं और विचारों को ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। UNSC स्थायी सदस्यता मिलने से भारत की आर्थिक और कूटनीतिक ताकत बढ़ेगी।

बड़ी ताकतों का मिलेगा साथ, बढ़ेगा दबदबा
UNSC की स्थायी सदस्यता से भारत का वैश्विक दबदबा बढ़ेगा। भारत को दुनिया की बड़ी ताकतों के साथ बैठने का मौका मिलेगा। भारत अपनी आर्थिक नीतियों को वैश्विक स्तर पर बेहतर ढंग से लागू कर सकेगा। भारत को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों  में ज्यादा भूमिका निभाने का मौका मिलेगा भारत आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और अन्य वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार और समाधान दुनिया के सामने रख सकेगा। 

जानें, कैसे कोई देश बना है UNSC का परमानेंट मेंबर
किसी भी देश को UNSC की परमानेंट सदस्यता हासिल करने के लिए कई मानदंड पूरे करने होते हैं। सबसे पहले तो इसके लिए  संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन करने की जरूरत होती है।  UNGA में 2/3 बहुमत और UNSC के स्थायी सदस्यों समेत 9 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है। UNSC की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए किसी देश को वैश्विक शक्ति का दर्जा प्राप्त होना चाहिए। इसका मतलब है कि उस देश की इकोनॉमी, मिलिट्री पावर, राजनीतिक प्रभाव और संयुक्त राष्ट्र में अहम योगदान होना चाहिए।

परमानेंट मेंबर बनने पर भारत को मिलेगा वीटो पावर
भारत अगर UNSC का परमानेंट सदस्य बनता है तो इसे भी वीटो पावर (Veto Power) मिलेगा। इस पावर का जिसका उपयोग किसी भी प्रस्ताव को मंजूर या नामंजूर करने के लिए किया जा सकता है। यही वजह है कि किसी भी नए देश को वीटो पावर हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन की जरूरत पड़ती है।  UNSC में किसी भी देश को परमानेंट मेंबर बनाने के लिए दूसरे देशों, खासकर P5 देशों का समर्थन जरूरी है।

भारत का अब तक इन देशों ने किया समर्थन
मौजूदा समय में भारत को UNSC का परमानेंट सदस्य बनाने का तीन बड़े देशों ने समर्थन किया है। इनमें अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ओर यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भारत का समर्थन किया है। इसके साथ ही जर्मनी और जापान भी भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता देने के पक्ष में है। बता दें कि पहले भी भारत ने यूनएससी की परमानेंट सदस्यता हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन चीन और ईरान ने अडंंगा लगा दिया था।