Indians stranded in Russia: रूस में फंसे सात भारतीयों का एक नया वीडियो सामने आया है। यह सभी लोग पंजाब के रहने वाले हैं। इन लोगों ने अपनी पूरी कहानी बताई है। इन भारतीयों ने बताया है कि इन्हें धोखे से रसियन आर्मी जॉइन करा दिया गया। इसके बाद इन सभी को यूक्रेन के खिलाफ मोर्चे पर तैनात किया जा रहा है। इन सभी लोगों ने एक वीडियो जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मदद की गुहार लगाई है।
पंजाब के रहने वाले हैं सातों भारतीय
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो में नजर आ रहे 7 लोग पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं। इन लोगों ने दावा किया है कि यह सभी 27 दिसंबर को भारत से रूस के लिए रवाना हुए थे। यह सभी न्यू ईयर मनाने के लिए रूस गए थे। इन सभी के बपास 90 दिनो तक वैलिड विजा था। हालांकि, इस दौरान इन्हें एजेंट बेलारूस ले गया। इसके बाद इन लोगों की परेशानी शुरू हो गई।
एजेंट ने दिया धोखा
सभी सातों भारतीय ने बताया है कि इन्हें एजेंट धोखे से बेलारूस ले गया। यह तक नहीं बताया कि बेलारूस जाने के लिए अलग से वीजा लेने की जरूरत होगी। वह इन सभी को बेलारूस छोड़कर भाग गया। बाद में बेलारूस के अधिकारियों ने इन भारतीयों को गिरफ्तार कर रूसी अधिकारियों को सौंप दिया। जिसके बाद रूसी अधिकारियों ने इनसे जबरदस्ती डॉक्यूमेंट पर साइन करवा लिए। अब इन सभी लोगों को यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
धमकाकर कागज पर साइन लिए
जिन लोगों के वीडियो वायरल हुए है, उनमें से एक का नाम गगनदीप सिंह बताया जा रहा है। गगनदीप सिंह कहता नजर आ रहा है कि रूस के आर्मी अफसरों ने इन्हें जबरदस्ती दस्तावेजाें पर साइन करने के लिए कहा। धमकी दी कि अगर ये लोग आर्मी जॉइन नहीं करते हैं तो इन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है। इससे डरकर इन लोगों ने कागज पर हस्ताक्षर कर लिए और ट्रेनिंग शुरू कर दी। इसके बाद सभी को महसूस हुआ कि इन लोगों के साथ धोखा हुआ है।
रूस में फंसे हैं कम से कम 27 भारतीय
गगनदीप सिंह वीडियो में कह रहा है कि उसे बंदूक चलाना नहीं आता लेकिन इसके बावजूद यूक्रेन के खिलाफ मोर्चे पर हम सभी की तैनाती की जा रही है। कई भारतीयों को पहले ही यूक्रेन से जंग लड़ने के लिए भेजा जा चुका है। बता दें कि विदेश मंत्रालय ने तीन दिन पहले कहा था कि रूस में कम से कम 20 भारतीयों के फंसे होने की आशंका है। इसके साथ ही भारतीय नागरिकों से अपील भी की थी कि वह किसी भी मुसीबत से बचने के लिए युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से दूर रहें।