Isha Foundation Controversy::सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि वह ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की रिपोर्ट पेश करे। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने त्वरित सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह आदेश बिना किसी ठोस आधार के जारी किया गया है। 

मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश स्थगित हो सकता है क्योंकि इसे बिना किसी प्राथमिक आधार के पारित किया गया है। इस बीच, कोर्ट ने यह भी घोषणा की कि अंतरिम आदेश जारी करने से पहले वह उन दो महिलाओं से भी बातचीत करेंगे, जिनका दावा है कि ईशा फाउंडेशन ने उनका ब्रेनवॉश किया और बंधक बनाकर आश्रम में रखा। 

ईशा फाउंडेशन का योग केंद्र में पहुंची थी पुलिस
तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित ईशा फाउंडेशन के योग केंद्र का निरीक्षण मंगलवार को किया गया। इस निरीक्षण में 150 से अधिक पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। यह छानबीन मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई, जिसमें केंद्र में चल रही गतिविधियों और वहां के हालात की जांच की गई। 

सुप्रीम कोर्ट से फाउंडेशन को राहत की उम्मीद
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फाउंडेशन को राहत देने का संकेत दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनवाई के दौरान फाउंडेशन के तर्कों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। इसके साथ ही, फाउंडेशन की ओर से त्वरित सुनवाई की मांग पर भी कोर्ट ने सकारात्मक रुख दिखाया है।