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Spadex mission: इसरो ने सोमवार (30 दिसंबर) को ‘Spadex’ मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसे श्रीहरिकोटा से रात 10:00 बजे एक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अतरिक्ष मिशन के लिए भेजा गया।

Spadex mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को बड़ी कामयाबी मिली है। सोमवार (30 दिसंबर) को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात 10:00 बजे एक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने Spadex मिशन (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

इसरो का यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के बनने और चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) की सफलता को तय करेगा। इसरो ने स्पेडेक्स मिशन को भारतीय अंतरिक्ष तकनीक के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया है।

PSLV-C60 रॉकेट के जरिए किया गया लॉन्च
इसरो ने PSLV-C60 रॉकेट के जरिए स्पेडेक्स मिशन को लॉन्च किया है। इस रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर डिप्लॉय किया गया।

अब 7 जनवरी 2025 को अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे इन दो स्पेसक्राफ्ट्स को कनेक्ट किया जाएगा। अगर इसरो का यह मिशनल सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

मिशन की कामयाबी पर ही भारत का चंद्रयान-4 मिशन निर्भर है, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।

स्पेडेक्स मिशन की क्या है खासियत?
स्पेडेक्स मिशन के चेजर और टारगेट सैटेलाइट अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें लगा डिफरेंशियल GNSS पोजिशनिंग सिस्टम सैटेलाइट्स की स्थिति और गति बताएगा। साथ ही RODP प्रोसेसर और VHF/UHF ट्रांसीवर की मदद से सैटेलाइट्स डाटा शेयर करेगा। 

सैटेलाइट्स की अत्याधुनिक तकनीक मिलन और डॉकिंग प्रक्रिया को सक्षम बनाती है। Spadex मिशन भारत के 'स्पेस विजन 2047' का हिस्सा है, जिसमें 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य है। इस मिशन से भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचायां मिलेंगी।

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