ISRO: सीई20 क्रायोजेनिक इंजन टेस्ट कर इसरो ने रचा इतिहास, गगनयान मिशन लॉन्च में निभाएगा अहम भूमिका

ISRO: इसरो ने सी20 क्रायोजेनिक इंजन को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है। तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में लेटेस्ट इंजन का हॉट टेस्ट किया गया।

Updated On 2024-12-12 21:23:00 IST
CE20 cryogenic engine tests

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को CE20 क्रायोजेनिक इंजन के सबसे अहम सी-लेवल टेस्ट की जानकारी शेयर की। यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में 29 नवंबर को ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में हुआ। इसरो की यह उपलब्धि अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए काफी अहमियत रखती है। ISRO का कहना है कि इस परीक्षण ने इंजन की जटिलताओं को दूर किया और इसे गगनयान मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया है।

क्रायोजेनिक इंजन टेस्ट की प्रमुख बातें
इसरो ने CE20 इंजन को रीस्टार्ट कैपेसिटी के टेस्ट के लिए तैयार किया था, जो गगनयान मिशन के लिए सबसे अहम है। यह इंजन ISRO के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर ने स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है। इस टेस्ट में 'नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम' का यूज किया गया, जिससे पारंपरिक हाई-एल्टीट्यूड टेस्ट (HAT) की जगह एक लो कॉस्ट और सिंपल प्रोसेस अपनाई गई।

क्या हैं CE20 इंजन की खासियतें? 
1) थ्रस्ट कैपेसिटी: यह इंजन 19 टन थ्रस्ट के स्तर पर काम करने में सक्षम है और इसे 20 टन तक अपग्रेड किया गया है। भविष्य में इसे 22 टन थ्रस्ट प्रदान करने के लिए तैयार किया जाएगा, जिससे यह अधिक पेलोड उठाने में सक्षम होगा।
2) LVM3 मिशन में सफलता: CE20 इंजन अब तक 6 सफल LVM3 मिशनों का हिस्सा रह चुका है।
3) रीस्टार्ट कैपेसिटी का महत्व: क्रायोजेनिक इंजन को बिना नोजल बंद किए वैक्यूम में रीस्टार्ट करना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। ISRO ने इससे पहले ग्राउंड टेस्ट में वैक्यूम इग्निशन को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया था। इसके साथ मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का भी सफल परीक्षण किया, जो इंजन को दोबारा शुरू करने में मदद करता है।

क्या है CE20 क्रायोजेनिक इंजन
लॉन्चिंग रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले इस इंजन में बहुत ज्यादा ठंडे ईंधन जैसे लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग होता है, जिन्हें करीब -253 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर पर तैयार किया जाता है। जो उच्च दक्षता के साथ ज्यादा थ्रस्ट प्रदान करता है, ताकि अंतरिक्ष में रॉकेट को ताकत के साथ रफ्तार दी जा सके या इसे और ऊंचाई पर पहुंचाया जा सके।

अंतरिक्ष तकनीक को मिलेगी मजबूती
इसरो की इस उपलब्धि से न केवल गगनयान मिशन को नई ऊर्जा मिलेगी, बल्कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक और आत्मनिर्भरता भी मजबूत होगी। ISRO की यह उपलब्धि से देश के वैज्ञानिक समुदाय में खुशी की लहर है।

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