Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पहले चरण के लिए 15 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की। इससे पहले पार्टी ने सोमवार (26 अगस्त) को ही 44 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया था, जिसमें तीनों चरणों के उम्मीदवार शामिल थे। लेकिन कुछ देर बाद पार्टी ने उम्मीदवारों की इस सूची को वापस ले लिया। बता दें कि विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मंगलवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
बीजेपी ने पहले चरण में किसे दिया मौका?
विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बीजेपी की 15 कैंडिडेट्स की लिस्ट में शोपियां से जावेद अहमद कादरी, राजपोरा से अर्शीद भट्ट, अनंतनाग पश्चिम से मो. रफीक वानी, अनंतनाग से एडवोकेट सैयद वजाहत, रामबाण से राकेश ठाकुर, बनिहाल से सलीम भट्ट, किश्तवाड़ से शगुन परिहार और डोडा से गजय सिंह राणा के नाम शामिल हैं।
प्रत्याशियों की सूची में संशोधन के लिए शाह के आवास पर मंथन
बीजेपी के 44 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह के दिल्ली आवास पर दोबारा मंथन हुआ। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी शाह से मिलने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि बीजेपी आज सिर्फ पहले चरण के 15 उम्मीदवार ही घोषित करना चाह रही थी, लेकिन गलती से बाकी दो चरणों के प्रत्याशी भी इस सूची में शामिल हो गए।
दिल्ली में रविवार देर रात तक प्रत्याशियों पर मंथन
रविवार को बीजेपी मुख्यालय में आयोजित केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के लिए संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी जम्मू-कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि कुछ सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ सकती है। हालांकि, अभी भाजपा का प्रदेश में किसी अन्य दल के साथ औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है।
इस बार तीन चरणों में होंगे विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में 18 और 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा और 4 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली थीं। तब पीडीपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन 2018 में भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई थी।