25th June Constitution Killing Day: 'मोदी सरकार' ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' घोषित कर दिया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा है कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। शाह ने आगे लिखा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। 

'लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है'
शाह ने फिर लिखा है कि यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं और उत्पीड़न का सामना करने के बाद बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। 

21 महीने के लिए लगाई थी इमरजेंसी   
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा का चुनाव निरस्त कर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इंदिरा गांधी इसके बाद 23 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा को प्रधानमंत्री बने रहने की इजाजत दे दी। इसके बाद इंदिरा ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया। 25 जून 1975 को देश में 21 महीने के लिए इमरजेंसी लगाई गई थी। तत्कालीन PM इंदिरा गांधी के कहने पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी के आदेश पर दस्तखत किए थे।  

जानें कब और कैसे लगता है आपातकाल
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश के बाद आपातकाल की घोषणा की जाती है। आपातकाल लगने के बाद नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं। संपूर्ण देश या किसी राज्य पर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाए। उस समय उस क्षेत्र की सभी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में चली जाती हैं। बता दें कि भारत में अब तक तीन बार आपातकाल लग चुका है। 1962, 1971 और 1975 में  अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।