Bengaluru Rameshwaram Cafe Blast: 1 मार्च...2024। इस दिन बेंगलुरु के फेमस द रामेश्वर कैफे में हुए ब्लास्ट की घटना तो आपको जरूर याद होगी। इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल मतीन ताहा और आईईडी बम प्लांट करने वाले मुसाविर हुसैन शाजिब को पश्चिम बंगाल से पकड़ा। दोनों की गिरफ्तारी के वक्त एक 'कर्नल' का जिक्र आया, लेकिन यह कौन है, कहां हैं...जैसे कई सवाल अभी अनसुलझे हैं। हालांकि एनआईए ने एक मजबूत कड़ी जोड़ी है, जो बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट की जांच पाकिस्तान लिंक की ओर इशारा कर रही है।
अधिकारियों को पता चला है कि मतीन और शाजिब का हैंडलर कर्नल है। यह उसका असली नाम नहीं बल्कि एक कोडनेम है। कर्नल 2019-20 में आईएस अल हिंद मॉड्यूल के साथ जुड़ने के बाद से अब्दुल मतीन ताहा और शाजिब के संपर्क में था।
क्रिप्टो वॉलेट के जरिए पैसे भेजता है कर्नल
अब तक की जांच में सामने आया है कि कर्नल दक्षिण भारत में कई युवाओं को क्रिप्टो-वॉलेट के जरिए फंडिंग करता है। वह धार्मिक स्थानों, हिंदू धार्मिक नेताओं और प्रमुख स्थानों पर हमले करने के लिए प्रेरित करने के लिए युवाओं को उकसाता है।
अबूधाबी में कर्नल?
एक अफसर ने अपना नाम न उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि हमने नवंबर 2022 में मंगलुरु ऑटोरिक्शा विस्फोट के बाद कर्नल नाम के हैंडलर के बारे में सुना था। वह मिडिल ईस्ट में छिपकर काम करता है। संभवतः कर्नल अबू धाबी में है।
यह भी माना जा रहा है कि कर्नल और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई मिलकर इस्लामिक स्टेट (IS) ग्रुप के छोटे मॉड्यूल बनाकर आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। आईएसआई ने पहले भी भारत में आतंकी मॉड्यूल को आईएस मेंबर के रूप में प्रायोजित किया है। अक्टूबर में दिल्ली में तीन आईएसआई-प्रायोजित आईएस मॉड्यूल सदस्यों की गिरफ्तारी से इसका खुलासा हुआ था।
कर्नल के बाबत पूछताछ जारी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट में कथित संलिप्तता के आरोप में ताहा और शाजिब को 12 अप्रैल को कोलकाता में एक ठिकाने से गिरफ्तार किया। विस्फोट में नौ लोग घायल हुए थे। फिलहाल एजेंसी ताहा और शाजिब से कर्नल, उसकी ऑनलाइन पहचान, भविष्य की आतंकी योजनाओं और शिवमोग्गा आईएस मॉड्यूल के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
अल-हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे ताहा और शाजिब
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, ताहा और शाजिब पहले 20 सदस्यीय अल-हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे। अल हिंद ने दक्षिण भारत के जंगलों में आईएस स्टेट स्थापित करने की योजना बनाई थी। मेहबूब पाशा और कुड्डालोर स्थित ख्वाजा मोइदीन के नेतृत्व में अल-हिंद मॉड्यूल बेंगलुरु के गुरुप्पनपाल्या में पाशा के अल-हिंद ट्रस्ट कार्यालय से संचालित होता था। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के घने जंगलों के अंदर कैसे जीवित रहना है, इसलिए उन्होंने मशहूर चंदन तस्कर वीरप्पन पर किताबें भी खरीदीं।
सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भी रही संलिप्तता
एनआईए ने जुलाई 2020 में मॉड्यूल अल-हिंद के 17 सदस्यों के खिलाफ अपने आरोप पत्र में कहा कि उनकी योजना पूरे भारत में हिंदू धार्मिक और राजनीतिक नेताओं, पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और कुछ हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की हत्या करने की थी। इनका मकसद आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के बाद बिना किसी की नजर में आए जंगल में चले जाने की थी।
एनआईए की चार्जशीट के अनुसार, अल-हिंद के सदस्यों ने अल-हिंद परिसर में ताइक्वांडो और कुंग फू भी सीखा था। यहां तक कि विभिन्न शहरो में हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) विरोधी विरोध प्रदर्शनों में भी भाग लिया। पाशा को भाई नामक एक ऑनलाइन हैंडलर से निर्देश मिल रहे थे।
क्या भाई और कर्नल एक ही हैंडलर
कई एजेंसियां अब जांच कर रही हैं कि क्या भाई और कर्नल एक ही हैंडलर हैं और क्या वह ताहा और शाजिब के साथ अल-हिंद के दिनों से जुड़े हुए थे। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों में से एक के दूसरे अधिकारी ने कहा कि हमें संदेह है कि यह कर्नल भारत में गुर्गों को निर्देश देने के लिए एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन का उपयोग करता है।
एजेंसी इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल के पीछे कर्नल की भूमिका की भी जांच कर रही है। इस संगठन ने मंगलुरु ऑटो-रिक्शा विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। हालांकि, खुरासान प्रांत में इस्लामिक स्टेट ने भी पांच महीने बाद उसी हमले की जिम्मेदारी ली। अधिकारियों को संदेह है कि यह अधिकारियों को गुमराह करने के लिए आईएसआई समर्थित आकाओं की ध्यान भटकाने वाली रणनीति हो सकती है।