Wayanad Wildlife Attacks: केरल के वायनाड जिले में शनिवार को भाजपा समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। हाथी के हमले में मारे गए पॉल का शव कोझिकोड मेडिकल कॉलेज से पक्कम लाया गया। प्रदर्शनकारियों ने एकत्रित होकर वन विभाग की जीप को रोक दिया। स्थानीय लोगों ने वन विभाग पर वन्यजीवों के हमलों को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने का आरोप लगाया।
इसके साथ ही, एक और घटना सामने आई। आज सुबह केनिचिरा के पास कथित तौर पर एक जंगली जानवर के हमले के कारण एक गाय मृत पाई गई। गुस्साए स्थानीय लोगों ने गाय का शव लाकर वन विभाग की जीप के बोनट पर रख दिया और तत्काल कार्रवाई की मांग की।
सीएम ने बुलाई हाईलेवल मीटिंग
बढ़ते गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को अधिकारियों को वायनाड में वन्यजीव हमलों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। सीएम के मुताबिक 20 फरवरी को वायनाड में बैठक होगी। बैठक में राजस्व, वन और स्थानीय स्वशासन विभाग के मंत्री शामिल होंगे। बैठक में वायनाड जिले के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों सहित जन प्रतिनिधि और उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे।
राहुल गांधी ने सीएम को लिखा था लेटर
वायनाड सांसद राहुल गांधी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र भेजकर हाल ही में राज्य के वायनाड जिले में हाथी के हमले से एक व्यक्ति की मौत पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। पत्र में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह पत्र आपको पसंद आएगा। मैं आपको पय्यामपल्ली के अजीश पनाचियिल के चौंकाने वाले निधन के बारे में लिख रहा हूं। उन पर एक हाथी ने जानलेवा हमला किया था। वह न केवल अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था, बल्कि अपनी बिस्तर पर पड़ी मां की प्राथमिक देखभाल करने वाला भी था।
राहुल गांधी ने कहा कि वन्यजीव हमलों ने वायनाड के लोगों के जीवन और आजीविका को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। वायनाड में लोगों ने मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं और हमारे समुदायों के कारण भारी कीमत चुकाई है। विशेष रूप से जंगलों से सटे रहने वाले लोग, निरंतर भय में रहते हैं। हमने समय-समय पर मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुद्दा उठाया है और वायनाड में ऐसे हमलों को कम करने के लिए, विशेष रूप से हमारे किसानों की रक्षा के लिए आपके हस्तक्षेप की मांग की है। हालांकि, इस मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यापक कार्य योजना की कमी ने केवल समस्या बल्कि संघर्ष को बढ़ाने का काम किया है।