Kerala Landslide: केरल के वायनाड में 29 और 30 जुलाई को हुए विनाशकारी लैंडस्लाइड में मरने वालों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। भारतीय सेना, वायुसेना और एनडीआरएफ बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। अब तक 291 लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं और 200 से ज्यादा लोग लापता हैं। गुरुवार (1 अगस्त) को कांग्रेस नेता और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड दौरे पर पहुंचे। दोनों ने यहां सबसे ज्यादा प्रभावित चूरलमाला इलाके में हालात का जायजा लिया।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केरल के वायनाड में भूस्खलन से हुई तबाही को देखना दुखद है। यहां के लोगों से मिलकर वैसा ही महसूस कर रहा हूं, जब पिता को खोने पर लगा था। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में मृत्यु हो गई थी। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वायनाड में हजारों लोग बेघर हो गए हैं, उनके लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।
बारिश से 80 हजार वर्ग मीटर जमीन खिसकी
वायनाड के चूरालमला और मुंडक्काई में 4 गांव पूरी तरह से सैलाब में बह गए थे। बारिश के कारण 80,000 वर्ग मीटर पहाड़ी जमीन खिसक गई और मलबा इरुवैफुझा नदी के साथ करीब 8 किलोमीटर दूर तक बहकर पहुंच गया। मलबे ने रात को घरों में सो रहे सैकड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। बता दें कि केरल के कई पहाड़ों में 20 डिग्री से अधिक ढलान वाला क्षेत्र शामिल है।
रेस्क्यू ऑपरेशन कहां तक पहुंचा?
विनाशकारी भूस्खलन के बाद सेना, एनडीआरएफ और राज्य आपातकालीन सेवाएं राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। लोगों को निकालने के लिए छोटे अस्थायी पुल बनाए गए और खुदाई करने वाली मशीनें मलबा हटाने में लगी हुई हैं। अधिकारियों ने मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई है। रेस्क्यू टीमें युद्ध स्तर पर मलबा हटाने में जुटी हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। लेकिन मलबा हटाने के लिए भारी मशीनरी की कमी है।
राहत शिविर पहुंचे राहुल-प्रियंका, पीड़ित परिवारों से मिले
- राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ चूरालमला दौरे पर एआईसीसी महासचिव और अलप्पुझा सांसद केसी वेणुगोपाल भी गए थे। कांग्रेस नेताओं ने केरल में दो राहत शिविरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, डॉ. मूपेन के मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।
- केरल के राजस्व मंत्री के राजन के अनुसार, 1600 से ज्यादा बचावकर्मी, जिनमें सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, पुलिस, फायर ब्रिगेड और बचाव दल शामिल हैं, लैंडस्लाइड प्रभावित क्षेत्र में बचाव कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कुछ स्थानों पर लोगों को निकालने के लिए रस्सियों की मदद से मानव पुल बनाए हैं।