Waqf Act Amendment Bill: लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर गुरुवार को गरमा गरम बहस हुई। जैसे ही अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल पेश किया, विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, सपा, डीएमके, वायएसआर कांग्रेस, एआईएमआईएम समेत करीब-करीब सभी विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन बिल पर सवाल उठाए और सरकार पर गैर-मुस्लिम मंशा रखने का आरोप मढ़ा।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कही ये बात
डीएमके सांसद कनिमोझी ने इसे संसद के लिए दुखद दिन बताया, तो असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार मुसलमानों से उनकी मस्जिदें और दरगाहें छीनने के लिए बिल लेकर आ रही है। इस पर रिजिजू ने जवाब दिया- बिल किसी के अधिकार छीनने के लिए नहीं ला रहे हैं, बल्कि उनके लिए लेकर आ रहे हैं, जिन्हें उनका हक नहीं मिला। कोई भी कानून संविधान के ऊपर नहीं हो सकता है। वक्फ बोर्ड पर माफियाओं का कब्जा है और उसमें सुधार की जरूरत है।
वक्फ बोर्ड में एक सांसद को शामिल करने का प्रस्ताव
लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बोलते हुए किरेन रिजिजू ने कहा- "सांसदों को किसी धर्म से जोड़ना सही नहीं है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि अलग-अलग धर्मों के लोगों को वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। हम कह रहे हैं कि एक सांसद को वक्फ बोर्ड का मेंबर होना चाहिए। अब, अगर सांसद हिंदू या ईसाई है, तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? अगर किसी सांसद को उसके सांसद होने के नाते वक्फ बोर्ड में शामिल किया जाता है, तो क्या हमें उस सांसद का धर्म बदल देना चाहिए?"
केंद्रीय मंत्री (अल्पसंख्यक मामले) किरेन रिजिजू का जवाब
- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के सवालों पर कहा- सदन में जितने भी मुद्दे उठाए गए। सबका उत्तर दूंगा। उम्मीद करता हूं कि बिल की सभी बातें जानने के बाद आप सभी इसका समर्थन करेंगे। इस बिल में संविधान के किसी आर्टिकल का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। किसी का हक नहीं छीना जा रहा है, बल्कि हम मुस्लिम समाज के गरीब, महिला और पिछड़ों को मौका देने के लिए यह संशोधित बिल लेकर आए हैं। आजादी के बाद 1954 में सबसे पहले यह अध्यादेश लाया गया था, कई संशोधन हुए। हम जो संशोधित बिल लेकर आए हैं, वो 1995 के बिल में हुए हैं। उस समय जो संशोधन हुए थे, उस पर गहनता से विचार हुआ है, जो असक्षम पाया गया, इसमें कई खामियां देखने को मिलीं।
- मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि आप लोगों ने जो सवाल उठाए हैं, वो आप नहीं कर पाए, इसलिए हम इसमें संशोधन करने का प्रयास कर रहे हैं। आप लोग इसका समर्थन करें, करोड़ों लोगों की दुआएं मिलेंगी। वक्फ बोर्ड पर कुछ लोगों ने कब्जा करके रखा है। आज तक जिन्हें हक नहीं मिला, वो आपको दुआएं देगे। यह बिल उन्हें न्याय दिलाने के लिए लाया गया है। 4.9 लाख रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज हैं। सच्चर कमेटी ने रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा वक्फ बोर्ड का विस्तार होना चाहिए। इसमें दो महिला सेंटर वक्फ काउंसिल में होना चाहिए। सेक्रेटरी भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी लेवल का ऑफिसर हो। महिलाओं और बच्चों को प्रमुख रूप से जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। वक्फ बोर्ड पर माफियाओं का कब्जा है।
दूसरी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट में क्या?
- रिजिजू ने जेपीसी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि इसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड सही तरीके से नहीं चल रहा है। लगता है कि सारा वक्फ बोर्ड का ध्यान किसको मुतावली बनाना है, इस पर रहता है। डेटाबेस को सेंट्रलाइज करना चाहिए। ये सभी सुझाव दोनों कमेटी ने दिए थे। आपको (विपक्ष) हमें शाबाशी देना चाहिए। आप अंदर-अंदर समर्थन दे रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दवाब में विरोध कर रहे हैं। अगर किसी ट्रिब्यूनल के फैसले को हम कोर्ट में अपील करने का अधिकार देते हैं तो यह गैर-संवैधानिक कैसे हो गया। भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वक्फ के फैसले को ट्रिब्यूनल में लेक नहीं जा सकते, क्या ये आज संभव है।
- इस बिल के लिए हमने सभी पक्षों के साथ बैठकर राय मशविरा किया। पिछले वक्फ कानूनों को बनाने में खामियां रह गई थीं, हम उन्हें दूर कर रहे हैं। कल रात तक मेरे पास विपक्ष के भी कई मुस्लिम सांसद आए और बोले कि हम आपके साथ हैं। पार्टी वोट बैंक के लिए विरोध करेगी, लेकिन हम सुधार के लिए साथ हैं। सरकार ने 2015 से पटना, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, 2023 में मुंबई, लखनऊ में वक्फ मेंबर्स और आम शहरियों के साथ मीटिंग की गई। दिल्ली में सेंट्रल वक्फ कमेटी के चेयरमैन के साथ बैठक हुई।
- दाउद इब्राहिम भारत से भाग चुका है। मुंबई में उसकी जमीन और प्रॉपर्टी हैं। वो वक्फ के अंदर शामिल हैं। तिरुचिरापल्ली में एक 1500 साल पुराना गांव है, वहां एक किसान जमीन बेचने गया तो पता चला कि पूरा गांव वक्फ की संपत्ति है। ऐसे कई मामले सदन को चिंतित करते हैं। एक लखनऊ का केस है। वे बेचारे किस मुश्किल हालात में जी रहे हैं। अगर हम संशोधन नहीं करेंगे तो परिवार को पुश्तैनी जमीन कभी नहीं मिलेगी।