Krishnagairi Kelavarapalli Dam: तमिलनाडु के केलवरापल्ली बांध से निकलने वाला पानी अब किसानों के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। हुसूर के आसपास के इलाकों में यह पानी जहरीले झाग के रूप में देखा गया है, जिससे फसलें प्रभावित हो रही हैं और सड़क यातायात भी बाधित हो रहा है। कर्नाटक में हो रही भारी बारिश के बाद बांध से पानी का निकास किया गया, लेकिन इस पानी में उद्योगों से निकले रसायन मिल गए, जिससे नदी में जहरीला झाग पैदा हो गया।
प्रदूषित पानी से फसलों को नुकसान
रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार को केलवरापल्ली बांध में 1,718 क्यूसेक पानी का प्रवाह था, जबकि गुरुवार को 4,160 क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया। इस पानी में रासायनिक झाग शामिल था, जिसने पांच दिनों से फसलों पर असर डाला है। झाग का फैलाव इतना अधिक है कि कई खेतों में फसलें ढक गई हैं। किसानों का कहना है कि फसलों की पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ रहा है और फसल बर्बाद हो रही हैं।
प्रदूषित झाग सड़कों तक फैला
प्रदूषित झाग के कारण स्थानीय सड़कों पर भी यातायात में बाधा आ रही है। झाग ने कई इलाकों को ढक लिया है, जिससे स्थानीय लोग 15 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाने को मजबूर हो गए हैं। इसने न केवल फसलों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि लोगों के दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि झाग से उठने वाली बदबू से स्थिति और भी गंभीर हो रही है।
फसलों को नुकसान होने की आशंका
किसानों का कहना है कि यह समस्या कर्नाटक के उद्योगों से निकलने वाले रसायनों के कारण है, जो हर साल इसी तरह बारिश के दौरान नदी में मिल जाते हैं। प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि मछलियां भी इस पानी में नहीं जी सकतीं। हालांकि, कुछ किसानों का दावा है कि इस पानी में पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं, जो फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। लेकिन, बड़े पैमान पर किसान इस प्रदूषित पानी से नाराज हैं।
इलाके में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं
स्थानीय विधायक वाई प्रकाश ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक सरकार से कई बार अनुरोध किया है कि वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएं, ताकि शुद्ध पानी ही नदी में छोड़ा जाए। हालांकि, अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। राज्य सरकार ने झीलों में ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, ताकि इस पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सके, लेकिन यह समाधान अब तक प्रभावी नहीं हुआ है।
किसानों की मिली जुली प्रतिक्रिया
तमिलगा किसान संघ के अध्यक्ष केएम राम गाउंडर का मानना है कि इस पानी से फसल को फायदा हो रहा है। उनके अनुसार, यह पानी सल्फर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि 1950 के दशक में किसानों ने इस पानी का उपयोग करना शुरू किया था, जिससे जमीन अधिक उपजाऊ हो गई और अब सफेद धान की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।