Chalo Lakshadweep call: 'ज्यादा टूरिस्ट संभाल नहीं पाएंगे, सिर्फ 150 होटल रूम', लक्षद्वीप के सांसद ने कहा- मूंगे से बना आईलैंड काफी सेंसिटिव

Lakshadweep tourism
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Chalo Lakshadweep call: लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा कि आईलैंड भारी संख्या में टूरिस्ट संभाल नहीं सकता है। यहां केवल 150 होटल रूम हैं और फ्लाइट्स भी कम हैं।

Chalo Lakshadweep call: भारत-मालदीव विवाद के बीच सोशल मीडिया पर चलो लक्षद्वीप कैंपेन चलाया जा रहा है। इस बीच लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आईलैंड भारी संख्या में टूरिस्ट संभाल नहीं सकता है। यहां केवल 150 होटल रूम हैं और फ्लाइट्स भी कम हैं। उन्होंने यह कैंपेन कई बाधाओं के कारण अभी जमीन पर नहीं उतर पाएगा।

एनसीपी सांसद ने NDTV से बातचीत में कहा कि अगर होटल और फ्लाइट्स की संख्या बढ़ा भी देते हैं तो भी यहां भारी संख्या में टूरिस्ट नहीं आ सकते हैं। क्योंकि लक्षद्वीप मूंगे से बना है। यहां का इकोसिस्टम काफी सेंसिटिव है। यहां की सेंसिटिविटी को देखते हुए पर्यटकों की आमद को कंट्रोल करना होगा।

पर्यटकों को देना होगा सहमति पत्र
सांसद फैजल ने कहा कि हम यहां इंटीग्रेटेड आइलैंड मैनेजमेंट प्लान के आधार पर विकास कर सकते हैं। इसका जिक्र जस्टिस रविंद्रम आयोग की रिपोर्ट में भी है। इस आयोग को लक्षद्वीप के विकास के लिए बनाया गया था। आयोग ने द्वीपों की वहन क्षमता और आने वाले पर्यटकों की संख्या के बारें कई सुझाव दिया है। लक्षद्वीप इस समय हाईटेक सुविधाओं वाले पर्यटन पर ध्यान दे रहा है। हम कम टूरिस्ट के सहारे रेवेन्यू जुटाने पर ध्यान देते आए हैं। आगे जो लोग आना चाहते हैं उन्हें सहमति देनी होगी कि वे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

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पीएम मोदी जनवरी के शुरुआत में लक्षद्वीप गए थे।

सिर्फ 10 द्वीपों पर रहते हैं लोग
लक्षद्वीप में 36 द्वीप हैं। इनमें से केवल 10 पर ही लोग रहते हैं। इनमें करवत्ती, अगत्ती, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय शामिल हैं। वर्तमान में लक्षद्वीप की केवल 8-10 प्रतिशत आबादी ही पर्यटन पर निर्भर है। ज्यादातर लोग मछली और नारियल की खेती पर निर्भर हैं।

2014 से सांसद हैं फैजल
लक्षद्वीप में सिर्फ एक लोकसभा सीट है। नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी मोहम्मद फैजल 2014 से यहां के सांसद हैं। 1967 से 1999 तक कांग्रेस के पीएम सईद सांसद रहे हैं। 2004 में पहली बार जनता दल की जीत के साथ यहां बदलाव हुआ। इसके बाद फिर 2009 में कांग्रेस ने वापसी की। हालांकि 2014 में एनसीपी ने जीत हासिल की, जिसे 2019 में भी बरकरार रखा।

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