Lalkrishna Advani Health Update: देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (96) की तबियत एक बार फिर बिगड़ गई है। मंगलवार को उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी की निगरानी में हो रहा है। पिछले डेढ़ महीने में यह तीसरी बार है जब आडवाणी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। इससे पहले 26 जून को AIIMS दिल्ली में उनकी एक छोटी सर्जरी हुई थी।
इस साल तीसरी बार बिगड़ी सेहत
इसी साल 26 जून को AIIMS दिल्ली के यूरोलॉजी विभाग में एक छोटी सर्जरी के बाद लालकृष्ण आडवाणी को अगले ही दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन इसके ठीक एक हफ्ते बाद, 3 जुलाई को रात 9 बजे अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फिर से अपोलो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हालांकि, वे एक दिन बाद ही घर वापस आ गए थे। अब तीसरी बार उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा है, और उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया है।
भारत रत्न से नवाजे गए हैं आडवाणी
इस साल 31 मार्च को लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके निवास पर जाकर उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी उपस्थित थे। यह सम्मान उनके राजनीतिक और सामाजिक सेवा के लिए दिया गया।
BJP के संस्थापक सदस्य हैं आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। उन्होंने 2002 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में देश के उपप्रधानमंत्री का पद संभाला। इसके पहले, वे 1998 से 2004 तक NDA सरकार में गृह मंत्री भी रहे। आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई।
राम मंदिर आंदोलन में रही मुख्य भूमिका
लालकृष्ण आडवाणी ने 1987 में राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। इस यात्रा ने राम मंदिर आंदोलन को देशभर में नई ऊर्जा दी और भाजपा की लोकप्रियता में इजाफा किया। इस यात्रा के बाद भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व का चेहरा बनने में कामयाबी हासिल की। आडवाणी की इस यात्रा ने पार्टी को 1984 में दो सीटों से 1991 में 120 सीटों तक पहुंचा दिया।
युवा नेताओं की एक नई फौज तैयार की
लालकृष्ण आडवाणी ने जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी में बदलने की यात्रा में अहम भूमिका निभाई। मौजूदा पीढ़ी के 90% भाजपा नेता उसी पीढ़ी से आते हैं जिसे आडवाणी ने तैयार किया था। उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया और भाजपा में युवा नेताओं को आगे लाया। उनकी रणनीतिक सोच और नेतृत्व क्षमता ने पार्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित किया।
लगभग निष्कलंक रहा राजनीतिक जीवन
लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक जीवन 50 वर्षों से अधिक का रहा और यह लगभग निष्कलंक रहा। 1996 में जब उनका नाम हवाला कांड में आया, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे तभी चुनाव लड़ेंगे जब उन्हें निर्दोष साबित किया जाएगा। 1996 में वे निर्दोष साबित हुए। इस निर्णय ने उनकी पारदर्शिता और नैतिकता को सिद्ध किया।
आरएसएस से की शुरुआत
लालकृष्ण आडवाणी ने 1941 में 14 वर्ष की आयु में RSS से जुड़कर राजस्थान प्रचारक के रूप में कार्य किया। 1951 में, वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित भारतीय जनसंघ के सदस्य बने और अलग अलग भूमिकाओं में सेवाएं दी। आडवाणी दिल्ली इकाई के अध्यक्ष और महासचिव भी रहे। 1980 में उन्होंने BJP को पूरे देश में मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई और पार्टी को संगठित किया।