Madhya Pradesh BJP CM Face Updates: मध्य प्रदेश में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, लेकिन 24 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे का चुनाव नहीं हो सका है। पार्टी में इसको लेकर मंथन का दौर जारी है। प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक हलचल तेज है। फिलहाल सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर सात ऐसे चेहरे हैं, जो कुर्सी की रेस में शामिल हैं। इस बीच शिवराज सिंह ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार न तो पहले रहा और न ही आज हूं।
काम आई भाजपा की रणनीति
दरअसल, चुनाव से पहले भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का चेह नहीं बनाया। सभी ने सामूहिक लड़ाई लड़ी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और लोकप्रियता पर भरोसा किया। पार्टी की रणनीति सफल भी रही। भाजपा ने राज्य की 230 सीटों में से 163 सीटें हासिल कीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई।
ऐसी अटकलें थीं कि विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों के चुनाव लड़ने से शिवराज सिंह चौहान को दरकिनार किया जा रहा है। लेकिन भाजपा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले मुख्यमंत्री का दावा पार्टी के शानदार प्रदर्शन से मजबूत हुआ है।
चर्चा में इन नेताओं का नाम
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पांचवीं बार विधायक और निवर्तमान राज्य कैबिनेट में मंत्री राजेंद्र शुक्ला का नाम सीएम पद की रेस में है। प्रह्लाद सिंह पटेल और सिंधिया दोनों अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं।
लोकसभा चुनाव तक सीएम रह सकते हैं शिवराज?
चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान कम से कम अगले लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। वहीं कुछ अन्य का मानना है कि पार्टी ने जो 166 सीटें जीती हैं, वह बहुमत के आंकड़े 116 से 47 अधिक हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व को विकल्प चुनने के लिए जरूरी मदद मिल सकती है।
मालवा-निमाड़ में कैलाश ने दिलाई अप्रत्याशित जीत
कैलाश विजयवर्गीय मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं। जहां भाजपा ने 66 में से 47 सीटें जीतीं। विजयवर्गीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में बलात्कार की शिकायत में उनका नाम सामने आने से उनके मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
तो क्या प्रह्लाद पटेल सीएम बनेंगे?
दो ओबीसी नेताओं में से प्रह्लाद सिंह पटेल, जिन्होंने बुंदेलखंड, महाकोशल, मध्य मध्य प्रदेश और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी की सफलता के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। वे एक पुराने योद्धा हैं। लोधी जाति के नेता को चुनने से उत्तर प्रदेश के आसपास के बुंदेलखंड और रोहिलखंड क्षेत्रों में भी पार्टी की चुनावी संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
सिंधिया और नरेंद्र तोमर भी दावेदार
माना जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जहां उन्होंने 2018 में 7 की तुलना में 18 सीटें जीतीं। उन्हें पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। सिंधिया की बदौलत 2020 में कांग्रेस सरकार गिर गई, जिससे राज्य में भाजपा की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। लेकिन, पूर्व कांग्रेस नेता को भाजपा में अभी साढ़े तीन साल ही हुए हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने से पार्टी के पुराने नेताओं में खलबली मच सकती है, जिससे नेतृत्व बचना चाहेगा, खासकर लोकसभा चुनाव से पहले।
नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री और पार्टी की राज्य चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख हैं। उन्हें भी एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।