Maharashtra Vikas Aghadi Wins 30 of 48 Seats: देश में अबकी बार भाजपा सरकार नहीं, NDA की सरकार बनेगी। भाजपा 2014 और 2019 के चुनावों का प्रदर्शन दोहरा नहीं सकी। वह 240 सीटों पर सिमट गई। उत्तर प्रदेश, बंगाल, हरियाणा के बाद यदि उसे सबसे अधिक नुकसान हुआ तो वह राज्य महाराष्ट्र है। नवंबर 2019 में गठित महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र में 48 में से 30 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की है। जबकि NDA को 24 सीटों का नुकसान हुआ और वह महज 17 सीट जीत सकी। दल-बदल, बगावत, तोड़-फोड़ की राजनीति लोगों को रास नहीं आई।

सितंबर-अक्टूबर में महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में पटखनी देने से उत्साहित महाविकास अघाड़ी सत्तारूढ़ महायुति के लिए खतरे की घंटी है और दावा किया जा रहा है कि एनडीए को कड़ी टक्कर मिलेगी। 

ताजा परिदृश्य में लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार लोकसभा चुनाव में खास प्रभाव नहीं डाल पाए। जबकि दोनों के पास 40-40 विधायक हैं। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि वे विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से मजबूत साबित होंगे। राजनीति संभावनाओं का खेल है। इसलिए भाजपा अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए बारे में सोच सकती है। 

कांग्रेस की सीटों में जबरदस्त इजाफा
MVA के सहयोगियों में से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) के प्रमुख शरद पवार आवंटित 10 सीटों में से आठ जीतकर सबसे मजबूत बनकर उभरे हैं। कांग्रेस ने वापसी की और भाजपा से विदर्भ का कंट्रोल छीन लिया। कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अपनीसंख्या में सुधार किया। एक सीट से आगे निकलकर 2024 में यह संख्या बढ़कर 13 हो गई है। दूसरी ओर, ऐसा माना जा रहा था कि पार्टी में विभाजन के बाद मतदाताओं की सहानुभूति के कारण उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को लाभ होगा। लेकिन उद्धव का प्रदर्शन उतना उत्साहजनक नहीं रहा। सिर्फ 9 सीटें हासिल की। 

सत्तारूढ़ महायुति में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने 28 में से महज 9 सीटें जीतकर खराब प्रदर्शन किया। पार्टी ने 2019 और 2014 के लोकसभा चुनावों में 23 सीटें जीती थीं। गठबंधन में सहयोगी, एनसीपी (AP) ने एक सीट और शिवसेना ने 7 सीटें जीतीं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी ने 9 सीटें जीती।

क्यों महायुति का प्रभाव बेअसर?
एनडीए गठबंधन की सीटों में गिरावट का कारण मराठा आरक्षण आंदोलन, किसानों के बीच अशांति और सबसे महत्वपूर्ण बात राज्य में भाजपा को मजबूत करने के लिए दो दलों के टूटने से मतदाताओं के बीच गुस्से को जिम्मेदार ठहराया गया। भाजपा के एक नेता ने कहा कि शिवसेना और एनसीपी में विभाजन हमारे लिए नुकसानदेह साबित हुआ। यह सबसे महत्वपूर्ण सबक है। राज्य सरकार को विधानसभा चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए किसानों और आंदोलनकारी मराठों के बीच गुस्से को शांत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।

एनसीपी (एपी) के एक नेता ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन पीएम मोदी की लोकप्रियता के भरोसे था, जो काम करने में विफल रहा। महायुति को विधानसभा चुनावों से पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और सुधारात्मक उपाय शुरू करने चाहिए

शिंदे बोले- सुधारात्मक कदम उठाएंगे
परिणाम घोषित होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमने उम्मीदवारों की घोषणा में देरी और विपक्ष द्वारा हमारे खिलाफ झूठी कहानी गढ़ने के कारण कुछ सीटें खो दीं। हालांकि, हम आत्मनिरीक्षण करेंगे और राज्य में अपने प्रदर्शन के बारे में लोगों को समझाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाएंगे।

एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि एमवीए की सफलता एनसीपी (एसपी), कांग्रेस या शिवसेना (यूबीटी) तक सीमित नहीं है। हमने चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। यह बदलाव का समय है और हम भविष्य में भी साथ रहेंगे। नतीजे उत्साहजनक हैं और हम राज्य विधानसभा में बदलाव लाने का प्रयास जारी रखेंगे। 

अहंकार, तोड़फोड़ लोगों को पसंद नहीं
मुंबई स्थित राजनीतिक विश्लेषक पद्मभूषण देशपांडे ने कहा कि भाजपा और महायुति की अनैतिक प्रथाएं और अहंकार उनके खिलाफ गए। लोगों को पार्टियों का टूटना और राजनीतिक परिवारों में बिखराव पसंद नहीं आया। वर्तमान में भाजपा के पास विधानसभा में 103 सीटें हैं, जबकि उसके सहयोगी शिवसेना और एनसीपी (एपी) के पास क्रमशः 40 और 39 सीटें हैं। एमवीए गठबंधन में कांग्रेस के पास 43 सीटें हैं, शिवसेना (यूबीटी) के पास 16 और एनसीपी (एसपी) के पास 14 सीटें हैं।