Makar Sankranti celebration: देशभर में मंगलवार(14 जनवरी) को मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण होने का प्रतीक है। सोमवार को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी ने लोहड़ी का पर्व मनाया। पीएम मोदी ने लोहड़ी जलाई और वहां मौजूद लोगों को शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के आवास पर पोंगल मनाया और गायों को गुड़ खुलाया। मकर संक्रांति भारत के हर राज्य में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है। आइए, आपको बताते हैं देश भर में कैसे मनाया जा रहा है मकर संक्राति, पोंगल और उत्तरायण त्योहार।
प्रयागराज कुंभ में अमृत स्नान का आयोजन
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर मकर संक्रांति के अवसर पर कुंभ मेले का पहला अमृत स्नान हुआ। हजारों नागा साधु और श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। साधु-संत रथों और घोड़ों पर सवार होकर भभूत लगाए नजर आए। स्टीव जॉब्स की पत्नी ने भी संगम में स्नान किया। हर-हर महादेव के जयघोष से संगम का माहौल भक्तिमय हो गया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने बड़े उत्साह से दान-पुण्य किया। मकर संक्रांति के पावन मौके पर महाकुंभ में स्नान बेहद पावन माना जाता है।
अहमदाबाद में पतंगबाजी का अनोखा जश्न
मकर संक्रांति के मौके पर अहमदाबाद में अंतरराष्ट्रीय काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मौके पर पतंगबाजी की। इसमें हजारों लोग रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ाने पहुंचे। शहर का आसमान इन रंग-बिरंगे पतंगों से रंगीन हो गया। इस बार काइट फेस्टिवल में 11 राज्यों और 47 देशों के 143 पतंगबाज हिस्सा ले रहे हैं। यहां विभिन्न आकार और डिजाइन की पतंगें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। पतंग उड़ाने की परंपरा सूर्य देव की पूजा का प्रतीक मानी जाती है। इस महोत्सव में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। सूर्य के उत्तरायण होने यानी कि उत्तरायण पूर्व पर पतंगबाजी करना गुजरात की संस्कृति हिस्सा है। हालांकि, अब दूसरे देशों के पर्यटक भी इसमें हिस्सा लेते हैं।
यहां देखिए कैसे गृह मंत्री शाह ने की पतंगबाजी:
पंजाब: भंगड़ा-गिद्दा के साथ जलाई गई लोहड़ी
पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का उत्सव बड़े जोश और उल्लास के साथ मनाया गया। गांवों और शहरों में अलाव जलाकर तिल, गुड़, मूंगफली, और रेवड़ी चढ़ाने की परंपरा निभाई गई। इस मौके पर लोकगीत गाए गए और भंगड़ा-गिद्दा की रंगीन प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। नई फसल की कटाई के बाद इस पर्व को किसान विशेष उत्साह के साथ मनाते हैं। लोहड़ी को परिवार और समुदाय के साथ मिलकर मनाया गया, जिसमें बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पंजाब की इस पारंपरिक धरोहर ने देशभर में एक खास संदेश दिया।
दक्षिण में धूम-धाम से मनाया जा रहा पोंगल
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया गया। तमिलनाडु के लोग इस पर्व को चार दिनों तक मनाते हैं। यह पर्व नई फसल और सूर्य देवता को समर्पित है। तुथुकुडी समेत तमिलनाडु के कई शहरों और गांवों में लोग पारंपरिक परिधान पहनकर उत्सव में शामिल हुए। पहले दिन भोगी पोंगल के साथ इसकी शुरुआत हुई। अब दूसरे दिन सूर्य पोंगल और तीसरे दिन मट्टू पोंगल मनाया जाएगा। लोगों ने पहले दिन घरों में गन्ना, चावल, और दूध से बने पारंपरिक व्यंजन तैयार किए। पोंगल पर मदुरै समेत राज्या के अलग अलग जगहों पर पर बैलों से लड़ने के खेल जलीकट्टू भी आयोजित किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में भी नर्मदा और शिप्रा तट पर उमड़े श्रद्धालु
मध्य प्रदेश में उज्जैन के शिप्रा नदी घाटों पर मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। बाबा महाकाल को तिल और गुड़ से बने पकवानों का भोग लगाया गया। शिप्रा नदी के साथ नर्मदा के घाटों पर भी भक्तों का हुजूम देखने को मिला। ठंड के बावजूद लोग तड़के से ही स्नान के लिए पहुंचे। स्नान के बाद भगवान शिव की आराधना कर तिल-गुड़ का दान किया। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। इस दिन उज्जैन के बाजारों में तिल-गुड़ की मिठाइयों की मांग भी बढ़ गई।
बिहार में 19 साल बाद भौम-पुष्य योग का संयोग
बिहार में मकर संक्रांति को स्थानीय रूप से खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। इस बार 19 साल बाद भौम-पुष्य योग में यह पर्व मनाया गया। पटना समेत राज्य के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भक्तों ने गंगा में स्नान कर पूजा-अर्चना की और दान-पुण्य किया। इस दिन तिल और चावल से बनी खिचड़ी खाने और गरीबों को दान करने की परंपरा है। ग्रामीण इलाकों में मेलों का आयोजन भी किया गया। सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालु परिवार समेत पहुंचे और गंगा समेत दूसरी नदियों में डुबकी लगाई। खिचड़ी पर्व पर बिहार में लोगों ने सुबह स्नान करने के बाद चूड़ा(पोहा)-दही और तिलकुट खाकर जश्न मनाया।