Manipur Violence:मणिपुर में हालात बेहद गंभीर हैं। हालांकि, गुरुवार (3 अक्टूबर) की सुबह राहत भरी खबर आई। 6 दिन पहले किडनैप किए गए दो मैतेई युवकों को पुलिस को सौंप दिया गया। मैतेई युवकों ओइनम थोईथोई और थोकचोम थोइथोइबा को गुरुवार सुबह 5:15 बजे कांगपोक्पी जिले के गमगीफाई चेक पोस्ट पर पुलिस को सौंप दिया गया। इस घटनाक्रम से मणिपुर में तनाव कुछ कम हुआ है। युवकों को पुलिस सुरक्षा में इम्फाल लाया गया है। अपहरण के बाद से राज्य के 5 मैतेई बहुल जिलों में बंद और विरोध प्रदर्शन जारी थे। अब सरकार की कोशिशें राहत भरी मानी जा रही हैं।
मैतेई समुदाय में जबरदस्त आक्रोश था
इन दोनों युवकों को कुकी उग्रवादियों ने किडनैप किया था, जिसके बाद मैतेई समुदाय में जबरदस्त आक्रोश था। मैतेई लोगों का मानना था कि संभवतः दोनों की हत्या कर दी गई है, जिससे इलाके में तनाव और बढ़ गया है। इसके विरोध में मैतेई बहुल पांच जिलों—इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, विष्णुपुर, काकचिंग और थौबल—में बंद का आह्वान किया गया था। हालांकि, अब दोनों युवकों के मिलने के बाद बंद खत्म होने और हालात सामान्य होने की उम्मीद है।
थौबल में सड़कें बंद, तनावपूर्ण माहौल
थौबल जिले में तनावपूर्ण माहौल है, जहां महिलाएं सड़कों पर उतरकर नेशनल हाईवे 102 को ब्लॉक कर रही हैं। इन महिलाओं ने बांस की बल्लियों से सड़कों को बंद कर रखा है, जिससे न पुलिस और न ही राज्य सरकार इलाके में पहुंच पा रही है। स्थानीय संगठन सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल्द ही अपहृत युवकों को रिहा नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दोनों युवकों को प्रताड़ित होते देखा गया है, जिससे जनता का आक्रोश और बढ़ गया है।
जॉइंट एक्शन कमेटी का आंदोलन
थौबल जिले में गठित जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है। JAC की संयोजक केइशम याइफाबी ने बताया कि युवकों का अपहरण 27 सितंबर को हुआ था, और उनके परिवार वालों की चिंता लगातार बढ़ रही है। राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने आश्वासन दिया है कि सरकार और सुरक्षा बलों के प्रयास से युवकों को सुरक्षित वापस लाया जाएगा। मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह भी कुकी बहुल कांग्पोक्पी पहुंचे हैं, ताकि युवकों को छुड़ाने के प्रयास किए जा सकें।
उखरुल में नगा समुदाय के बीच हिंसा
उखरुल जिले में नगा समुदाय के दो गुटों के बीच जमीन विवाद को लेकर गोलीबारी हुई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और दस से ज्यादा घायल हो गए। पुलिस ने इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी है और लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाई है। हिंसा की मुख्य वजह एक विवादित जमीन पर स्वच्छता अभियान था, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई। यहां असम राइफल्स की तैनाती कर दी गई है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।
चुराचांदपुर में उग्रवादी की हत्या
चुराचांदपुर जिले में एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के टाउन कमांडर की हत्या कर दी गई। मृतक यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (UKNA) का सदस्य था। अज्ञात हमलावरों ने उसे गोली मार दी, जिसके बाद उसके शव को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी में रखवाया गया। इस घटना से जिले में तनाव बढ़ गया है, और सुरक्षा बलों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
मणिपुर में हिंसा का बढ़ता दायरा
मणिपुर में जारी हिंसा की घटनाएं पिछले 500 दिनों से राज्य को जकड़े हुए हैं। अब तक 237 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग अपने घर छोड़कर रिलीफ कैंपों में रहने को मजबूर हैं। मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हुआ है—कुकी बहुल पहाड़ी जिले और मैतेई बहुल मैदानी इलाके। इन दोनों समुदायों के बीच की खाई दिनोंदिन गहरी होती जा रही है।