MS Swaminathan Bharat Ratna: स्वामीनाथन को क्यों कहा जाता था किसानों का मसीहा?

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एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न।
MS Swaminathan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चरण सिंह के साथ ही वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की।

MS Swaminathan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चरण सिंह के साथ ही वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन ने अपना जीवन किसानों के लिए समर्पित कर दिया। आइए उनके बारे में जानते हैं।

देश में हरित क्रांति लाने का काम किया
स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने उस दौर के 2 कृषि मंत्रियों जगजीवन राम और सी सुब्रमण्यम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया। इससे धान और गेहूं के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी का मार्ग प्रशस्त हुआ। किसानों की स्थिति सुधारने के लिए स्वामीनाथ ने सरकार के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा गया। स्वामीनाथन की इस रिपोर्ट में किसानों की स्थिति को बेहतर करने के लिए कई सुझाव दिए गए थे।

हरित क्रांति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका
स्वामीनाथन ने कृषि अध्ययन और रिसर्च को आगे बढ़ाया। उन्होंने जेनेटिक्स और रिपोडक्शन में कार्य किए। वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक भी रहे। इस दौरान उन्होंने भारत में एग्रीकल्चर रिसर्च और एजुकेशन को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खाद्य और कृषि संगठन परिषद के स्वतंत्र अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। हरित क्रांति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इससे फसल की उत्पादन क्षमता बढ़ी और भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ। उन्होंने अधिक उपज वाली गेहूं और चावल की किस्मों, अर्ध वामन गेहूं की किस्मों को डेवलप करने में अहम रोल प्ले किया। उनके इस कार्य ने 1960-70 के दशक के दौरान भारत में कृषि में क्रांति ला दी।

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एमएस स्वामीनाथन।

MSP की सिफारिश की थी
हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले स्वामीनाथन ने किसानों के कल्याण के लिए कृषि उपज के लिए उचित मूल्य और सस्टेनेबल फार्मिंग प्रैक्टिस पर जोर दिया। उनकी रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में संकट के कारणों का आकलन प्रस्तुत किया गया। उनकी रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP- वह कीमत जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है।) की सिफारिश की गई थी। इतना ही नहीं स्वामीनाथन पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार के संरक्षण अधिनियम 2001 को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई।

कई सम्मान मिले
कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए स्वामीनाथन को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। 1987 में उन्हें प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता के रूप में सम्मानित किया गया। साल 1967 में उन्हें पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और साल 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। साथ ही 1971 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और साल 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से नवाजा गया।

पीएम मोदी ने कही ये बात
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनके विजन और इनपुट को महत्व देता था।

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