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Manmohan Singh Landmark decisions: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 10 साल प्रधानमंत्री रहते और उससे पहले वित्त मंत्री के तौर तमाम ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिन्होंने भारत को आर्थिक मोर्चे पर काफी सशक्त करेगा।

Manmohan Singh Landmark decisions: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) रात निधन हो गया। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते मनरेगा, आरटीआई, न्यूक्लियर डील सहित कई ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने देश की तस्वीर बदल दी। मनरेगा (महात्मा गांधी रोजगार गारंटी) योजना से न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़े, बल्कि लाखों लोग गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकले। आइए जानते हैं 

मनमोहन सिंह सरकार के 5 बड़े निर्णय 
मनरेगा (MANREGA) : महात्मा गांधी रोजागर गारंटी (मनरेगा) योजना की शुरुआत 2005 को लागू हुई थी। मनमोहन कैबिनेट ने 25 अगस्त 2005 अधिनियमित पारित कर हर साल ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी दी। इस योजना से ग्रामीण क्षेत्र में अमूलचूल बदलवा किए हैं। सड़क, पानी जैसी जरूरी सुविधाएं मिलीं। जरूरतमंद लोगों की आय बढ़ी है। 

सूचना का अधिकार कानून (Right to Information Act) 
मनमोहन सिंह सरकार ने 2005 में सूचना का अधिकार कानून लागू किया। इसके न सिर्फ सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आई, बल्कि भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आई है। जनहित की लड़ई को मजबूती मिली। लोगों को आर्थिक फायदा भी हुआ है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में उपलब्ध करानी होती है। जीवन या स्वतंत्रता से जुड़े सूचना 48 घंटे में देनी अनिवार्य है। 

शिक्षा का अधिकार कानून (Right To Education Act)
मनमोहन सिंह सरकार ने 2 जुलाई, 2009 को शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है। इसमें 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है। RTE के जरिए गरीब परिवार के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कराई जाती है। इसके लिए संविधान के आर्टिकल 21ए में संशोधन किया गया है। 

भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील (India-US Nuclear Deal) 
मनमोहन सिंह भारत और अमेरिका परमाणु संधि के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। प्रधानमंत्री रहते 2005 में उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के साथ MOU साइन किया था। इसका उद्देश्य भारत को परमाणु तकनीकी सहायता देना था। न्यूक्लियर डील के बाद दुनिया की महाशक्तियों में सुमार हुआ। साथ ही परमाणु ऊर्जा के तौर भी संपन्न हुआ। यह समझौता वह उन्होंने अपनी सरकार को दांव पर लगाकर किया था। 

लाइसेंस राज, विदेशी निवेश (Licence Raj, foreign investment) 
मनमोहन सिंह ने 1991 में वित्त मंत्री रहते लाइसेंस राज खत्म कर विदेशी निवेशकों के लिए भारत के दरवाजे खोले। भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने कई सुधार किए। इससे देश की उत्तरोत्तर आर्थिक प्रगति हुई। जीडीपी ग्रोथ रेट 3-4% से बढ़कर 7.7% सालाना पहुंच गई। 

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डॉ मनमोहन सिंह की बड़ी उपलब्धियां 

  • गरीबी उन्मूलन में उनकी नीतियों ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला
  • डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला
  • उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से एलपीजी की उपलब्धता हुई आसान
  • उद्योगों और व्यापार के लिए अनावश्यक प्रतिबंध हटाए
  • ग्रामीण परिवारों को रोजगार सुनिश्चित किया
  • सड़कों, बिजली, और शहरी विकास में बड़े निवेश किए
  • गोल्डन क्वाड्रिलैटरल और अन्य हाइवे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत, जिससे देश में कनेक्टिविटी बेहतर हुई
  • 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, उन्होंने मजबूत नीतियों के माध्यम से भारत को आर्थिक मंदी से बचाया
  • निवेशकों का विश्वास बनाए रखा और आर्थिक विकास को स्थिर रखा
  • अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध मजबूत किए 

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डॉ मनमोहन सिंह को मिले यह सम्मान

  • भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987)
  • भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995)
  • वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994)
  • वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993)
  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार
  • कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)
  • डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां दी गईं। 
     
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