Ministry of external affairs rubbishes OIC statement: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से मुहर लग चुकी है। बावजूद इसके इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने ओछी हरकत दिखाई और इसे भारत सरकार की एकतरफा कार्रवाई करार दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को छीन लिया गया है। ओआईसी के इस बयान को विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया। प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बुधवार को कहा कि ओआईसी का बयान गलत सूचना और गलत इरादे वाला है।
बागची ने OIC की विश्वसनीयता पर उठाया सवाल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि भारत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन के जनरल सचिवालय द्वारा जारी बयान को खारिज करता है। यह गलत जानकारी और गलत इरादे वाला है। इस तरह के बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं। बागची ने कहा कि ओआईसी मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघन कराने वालों और सीमा पार आतंकवाद के एक बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर ऐसा करता है। विदेश प्रवक्ता ने इशारों में पाकिस्तान पर हमला बोला।
ओआईसी और क्या-क्या कहा था?
मंगलवार को ओआईसी के जनरल सेक्रेटेरिएट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बयान दिया था। कहा था कि वह 5 अगस्त 2019 के बाद से उठाए गए सभी अवैध और एकतरफा उपायों को उलटने के अपने आह्वान को दोहराता है।
दरअसल, ओआईसी 57 मुस्लिम देशों का संगठन है, जो अपनी बिरादरी की हिमायती बनता है और उनके हितों का ख्याल रखता है।
राज्यसभा से दो विधेयक पास
- जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023
क्या है विधेयकों का उद्देश्य?
दोनों विधेयकों का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रमुख कानूनों में संशोधन करना है। इसके जरिए जिन्होंने अन्याय सहा है या सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, उन्हें नौकरी और व्यवसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण दिया जाएगा।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 2019 अधिनियम में संशोधन करने और कश्मीरी प्रवासियों और पीओके से विस्थापित व्यक्तियों को विधान सभा में प्रतिनिधित्व प्रदान करने में मदद करेगा। इसमें जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल होने पर कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो सदस्यों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति को विधान सभा में नामित करने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से 90 करने का भी प्रस्ताव है।