Subscription Scheme: देश में उच्च शिक्षा और शोध (Research) को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार जल्द ही 'वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन' (ONOS) स्कीम शुरू करने जा रही है। इसके तहत यूनिवर्सिटी, आईआईटी और राज्यों के एयर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में अध्यनरत देशभर के करीब 1.8 करोड़ छात्रों और शोधकर्ताओं को दुनिया की शीर्ष अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं तक पहुंच मिलेगी।
 छात्रों के लिए यह स्कीम 1 जनवरी 2025 से लागू होगी। आइए, जानते हैं ONOS स्कीम की बड़ी बातें...

किसे मिलेगा स्कीम का लाभ?

  • इस योजना के तहत 451 स्टेट यूनिवर्सिटी, 4864 कॉलेज और 172 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान समेत कुल 6380 गवर्नमेंट हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट शामिल किए गए हैं। वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन स्कीम में छात्रों और शोधकर्ताओं को 13,400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं (International Research Journals) तक पहुंच मिलेगी।
  • प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर एके सूद ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैथ्स, मैनेजमेंट, सोशल साइंस और ह्यूमैनिटीज जैसे विषयों को कवर करने वाली ये जर्नल्स प्रमुख पब्लिशर्स जैसे एल्सेवियर, स्प्रिंगर नेचर और विले द्वारा पब्लिश हैं।

तीन चरणों में लागू होगी ONOS 
वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन स्कीम से जुड़ने वाले स्टूडेंट्स को अगले तीन सालों के लिए शोध पत्रिकाओं तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने तीन चरणों में इस इनीशिएटिव को पूरा करने की योजना बनाई है। पहले चरण में सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों को शीर्ष शोध पत्रिकाओं तक पहुंच दी जाएगी। फिर दूसरे चरण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के जरिए निजी शिक्षण संस्थानों को भी योजना में जोड़ा जाएगा। इसके बाद तीसरे चरण में पब्लिक लाइब्रेरी के जरिए देश के हर नागरिक को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी।

ONOS स्कीम के 3 बड़े फायदे
1) समानता: अब तक सिर्फ IITs और केंद्रीय विश्वविद्यालय (सेंट्रल यूनिवर्सिटी) जैसे संस्थान सीमित पत्रिकाओं की सदस्यता ले पाते थे। अब सभी संस्थानों को समान पहुंच मिलेगी।
2) बेहतर शिक्षा: यह स्कीम खासतौर से टियर 2 और टियर 3 शहरों में उच्च शिक्षा और रिसर्च के स्तर को सुधारने में मदद करेगी।
3) इंट्रा-सब्जेक्ट रिसर्च: छात्रों और शोधकर्ताओं को अलग-अलग सेक्टर्स में नए विचारों और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

UGC करेगा ONOS योजना का संचालन
इस स्कीम को यूजीसी के INFLIBNET (सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क) केंद्र द्वारा को-ऑर्डिनेट किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने तीन साल के लिए 6,000 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। योजना के अगले चरण में निजी संस्थानों को शामिल करने और सार्वजनिक पुस्तकालयों के माध्यम से नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं तक पहुंच प्रदान करने पर केंद्रित होगा।