Unified Pension Scheme: मोदी सरकार की ओर से शुरू की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने और राज्य व केंद्र सरकारों की वित्तीय स्थिति को संतुलित रखने में एक अहम कदम साबित हो सकती है। यह योजना पेंशनधारकों को एक भरोसेमंद सुरक्षा प्रदान करती है और को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को भी मजबूत करती है, जिसे मोदी सरकार ने हमेशा प्राथमिकता दी है।
UPS के तहत रिटायर्ड कर्मचारियों को उनके सेवा के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इससे उन्हें निश्चितता और स्थिरता मिलती है। यह योजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित पेंशन सुधारों के सिद्धांतों का पालन करती है, जिसमें कर्मचारियों और सरकार दोनों का पेंशन फंड में योगदान शामिल है। यह एक संतुलित मॉडल बनाता है जो कर्मचारी लाभ और वित्तीय जिम्मेदारी को ध्यान में रखता है।
इस योजना को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के उलट देखा जा रहा है, जिसने राज्य सरकारों पर भारी वित्तीय बोझ डाला है। गैर-एनडीए शासित राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश द्वारा OPS को फिर से अपनाने के फैसले की आलोचना हुई, जिसे रिजर्व बैंक (RBI) ने भी वित्तीय रूप से खतरनाक बताया। RBI के अनुसार, OPS पर लौटने से पेंशन देनदारियों में चार गुना वृद्धि हो सकती है।
मोदी सरकार की UPS एक संतुलित विकल्प है, जो सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करती है और राज्य व केंद्र सरकारों को महत्वपूर्ण पूंजी निवेश के लिए वित्तीय क्षमता बनाए रखने में मदद करती है। इसमें सरकार का योगदान 18.5% और कर्मचारियों का योगदान 10% रखा गया है, जिससे पेंशन फंड की कमाई और सुनिश्चित पेंशन के बीच का अंतर पूरा हो सके।
UPS को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को भी बढ़ावा देती है, जिससे राज्य एक स्थायी पेंशन मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। जो राज्य UPS को अपनाते हैं, वे अपनी वित्तीय स्थिरता को बनाए रखते हुए बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में निवेश करना जारी रख सकते हैं। मोदी सरकार की पारदर्शिता और वित्तीय विवेक पर ध्यान केंद्रित करने की नीतियां इस योजना की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
UPS न केवल एक पेंशन सुधार है, बल्कि यह भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की एक व्यापक रणनीति है। जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, यह योजना लाखों सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने के साथ-साथ राष्ट्र की वित्तीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करेगी।