Monkeypox Virus India: मंकीपॉक्स वायरस, जो पहली बार अफ्रीका में पाया गया था, अब तेजी से दूसरे देशों में फैल रहा है। हाल ही में, यह वायरस पाकिस्तान में भी पाया जा चुका है। इसके बाद भारत में इसके फैलने (Monkeypox Virus India) की संभावना बढ़ गई है। इस वायरस के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं। हालांकि मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण और इनफेक्शन कोरोना की तुलना में कम होता है। फिर भी, इससे जुड़े खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं मंकीपॉक्स के लक्षण, बचाव और इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां। इस बीमारी के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ। 

कैसे हुई मंकीपॉक्स  इसकी शुरुआत?  (Monkeypox Virus origin)
मंकीपॉक्स एक खतरनाक वायरस है जिसकी शुरुआत अफ्रीका से हुई थी। इस बीमारी का पहला मामला 1958 में डेनमार्क में रिसर्च के लिए रखे गए दो बंदरों में पाया गया। मानवों में इस वायरस का पहला मामला 1970 में कांगो में एक 9 वर्षीय बच्चे में देखा गया था। यह बीमारी आमतौर पर चूहों, गिलहरियों और नर बंदरों से फैलती है, लेकिन इंसानों के बीच भी यह फैल सकता है। इस साल भारत में मंकीपॉक्स के मामले  (Monkeypox Virus India) सामने नहीं आए हैं। 

Monkeypox Virus India

जानें, मंकीपॉक्स पर डॉ डीके गुप्ता ने क्या कहा ( Health Expert Dr. DK Gupta On Monkepox Virus)

फेलिक्स हॉस्पीटल, नोएडा के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता ने इस बीमारी को लेकर कहा कि डब्ल्यूएचचओ ने हाल ही में एक इमरजेंसी मीटिंग की है। इस बैठक में चर्चा हुई की क्या यह यह एक ग्लोबल कंसर्न यानी कि वैश्विक चिंता है या नहीं। मंकीपॉक्स के केस दुनिया भर में फैल रहे हैं। ऐसे में यह चिंता की बात हो सकती है।

  • डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि मंकीपॉक्स एक इंफेक्शियस बीमारी है। यह मंकीपॉक्स नामक वारयस से फैलती है। इस बीमारी में सामान्य तौर पर शरीर पर पेनफुल रैशेज होते हैं। फफोले पड़ जाते हैं। ज्यादातर लोग इस बीमारी से खुद ठीक हो जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों में यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकते हैं। 
  • कैसे फैलती है यह बीमारी?
    डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। आम तौर पर चूहे और बंदर से यह इंसानों में ट्रांसमिट हो सकता है। ट्रांसमिट का मेथड क्लोज कॉन्टैक्ट है। यानी कि संक्रमित जानवर या इंसान के संपर्क में आने से यह वायरस फैलता है। यह वायरस ड्रॉपलेट से नहीं फैलता है। 

  • क्या है लक्षण‍? 
    डॉ डीके गुप्ता के मुताबिक, इस बीमारी में तेज बुखार होगा, हाथ पैर में दर्द होगा, बदन में दर्द,  शरीर पर दर्द भरे रैसेज और लिंफनोड और फोले पड़ जाते हैं। यह एक माइल्ड डीजीज है। आम तौर पर इसमें फुल रिकवरी हो जाती है। हालांकि, कुछ लोगों में यह सिरियस सिम्पटम भी क्रिएट कर सकता है। 
  • कौन से ऐसे लोग हैं जिन्हें बचने की जरूरत है?
    डॉ डीके गुप्ता के मुताबिक ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कम है, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाएं अगर इस संक्रमण की चपेट में आती है तो उन्हें प्री मैच्योर डिलिवरी या लेबर पेन हो सकती है और नवजात शिशु के साथ कॉम्पलिकेशन बढ़ने की संभावना है।

क्या करना चाहिए, कैसे बचना चाहिए?
डॉ डीके गुप्ता ने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए हमें क्लोज कॉन्टैक्ट यानी की मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति या जानवर से दूर रहना है। जो भी इंफेक्टेड व्यक्ति हैं उनसे दूर रहें, जिससे इंफेक्शन नहीं फैले। हाइजीन अच्छा रखें, अपने हाथ बार-बार धोते रहें। जो मेडिकल स्टाफ हैं, उन्हें भी इससे बचने की जरूरत है। मास्क पहनकर रखें और ग्लब्स पहनकर रखें।

Monkeypox

प्रोटेक्टिव गीयर पहनकर ही मेडिकल स्टाफ मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति का इलाज करें। इसका वैक्सीन भी उपलब्ध है। ऐसे में हमें वैक्सीनेशन को बढ़ावा देना चाहिए। जो भी हेल्थ गाइडलाइन आ रही हैं, उसका पालन करना चाहिए। इन तरीकों से हम एम-पॉक्स या मंकीपॉक्स से बच सकते हैं।

डॉ डीके गुप्ता के मुताबिक, हालांकि,  यह बहुत ज्यादा तेजी से फैलने वाली बीमारी नहीं है। यह काफी तेजी से नहीं फैलता, लेकिन हमें किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, इसलिए जैसे भी हो सरकार और हेल्थ अथॉरिटी को इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

WHO ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया?
15 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Health Emergency) घोषित किया। अब तक 20,000 से अधिक मामले और 537 मौतें रिपोर्ट हो चुकी हैं। WHO ने कहा है कि यह वायरस अन्य देशों में भी तेजी से फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि  (WHO declaration) की मंकीपॉक्स खासकर हवाई यात्रा और आने-जाने के दूसरे  माध्यमों से फैल सकता है। यह वायरस पहले अफ्रीका में तेजी से फैला, लेकिन अब अन्य महाद्वीपों में भी इसके मामले (Monkeypox Virus Case) सामने आ रहे हैं। 

Monkeypox Virus India

भारत में मंकीपॉक्स का खतरा: क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
अफ्रीका से पैदा हुए मंकीपॉक्स वायरस अब पाकिस्तान तक पहुंच चुका है। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स (Monkeypox in Pakistan) के 3 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इनमें से एक व्यक्ति सऊदी अरब से और दूसरा अफ्रीका से पाकिस्तान आया था। भारत में भी सऊदी अरब और अफ्रीका से लोग पहुंचते हैं। ऐसे में भारत में मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus India) का खतरा बढ़ सकता है। पिछले साल, भारत में मंकीपॉक्स के 27 मामले पाए गए थे और एक मौत भी हुई थी।  

क्या मंकीपॉक्स कोरोना की तरह खतरनाक है? (Monkeypox vs. COVID-19)
मंकीपॉक्स की प्रसार गति कोरोना जितनी तेज नहीं है। यह वायरस इंसान से इंसान में फैलता जरूर है, लेकिन इसकी संक्रामकता कोरोना की तुलना में कम है। इसके अलावा, मंकीपॉक्स से मृत्यु दर भी कोरोना के मुकाबले काफी कम है। हालांकि, मंकीपॉक्स के ट्रांसमिशन की स्पीड  (Monkeypox Transmission speed धीमी है, इसलिए इसे कंट्रोल करना आसान होता है।

Monkeypox virus

कौन सा वेरिएंट सबसे ज्यादा फैल रहा है?  (Monkeypox variants)
वर्तमान में मंकीपॉक्स का 'क्लेड Ib' वेरिएंट तेजी से फैल रहा है, जो मुख्य रूप से कांगो में पाया गया था। यह वेरिएंट परिवार के सदस्यों के संपर्क में आने से फैलता है और अक्सर बच्चों को संक्रमित करता है। वहीं, 'Clade Ib' वेरिएंट, जो 2022 में फैल रहा था, मुख्यतः यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। क्लेड Ib वेरिएंट Clade IIb की तुलना में अधिक घातक है। भारत में मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus India) को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। 

जानें, मंकीपॉक्स के लक्षण और इलाज (Monkeypox Symptoms)
मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं, जिनमें बुखार, बदन में अकड़न, और शरीर पर फफोले या घाव होते हैं। ये घाव मवाद से भरे होते हैं, जो धीरे-धीरे सूखते हैं और ठीक हो जाते हैं। मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष वैक्सीन या इलाज (Monkeypox treatment) नहीं है। मरीज अपने इम्यून सिस्टम की मदद से ठीक हो सकते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए यह जरूरी है कि शरीर की रोग प्रतिरोधि क्षमता को मजबूत रखा जाए। 

Monkeypox Symptoms

क्या मंकीपॉक्स महामारी में बदल सकता है? (Monkeypox Pandemic possibility)
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स का वायरस अभी तक कोई गंभीर जानलेवा बीमारी नहीं फैला रहा है और इसके महामारी में बदलने की संभावना कम है। हालांकि, सावधानी बरतना जरूरी है। जैसे, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, सुरक्षित यौन संबंध रखना और नियमित रूप से हाथ धोना। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो इस खतरनाक बीमारी से दूर रहा जा सकता है।