MUDA Land Scam: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) जमीन घोटाले में मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से दी है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने यह फैसला 3 याचिकाओं के आधार पर लिया, जिन्हें टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने दायर किया था। इससे पहले गर्वनर ने 26 जुलाई को सीएम सिद्धारमैया को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें उनसे सात दिनों के भीतर आरोपों पर जवाब मांगा गया था, ताकि मुकदमे की अनुमति न दी जाए।
आरोपों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे सीएम सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। राज्यपाल गहलोत के इस फैसले के बाद कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने राज्यपाल पर केंद्र सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने राजभवन को बीजेपी का ऑफिस करार दिया और इसे मुख्यमंत्री के खिलाफ बीजेपी की साजिश बताया है।
इस्तीफा देकर जांच को पारदर्शी बनाएं सिद्धारमैया: BJP
- कर्नाटक बीजेपी प्रेसिडेंट बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार और पक्षपात के गंभीर आरोप हैं, इसलिए उन्हें पद से इस्तीफा देकर जांच को पारदर्शी बनाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
- इसके साथ ही कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियंक खड़गे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्यपाल को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि राजभवन का इस्तेमाल भाजपा द्वारा निर्वाचित सरकार को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है।
सिद्धारमैया के परिवार पर क्या हैं आरोप?
MUDA की 50:50 प्रोत्साहन योजना के तहत, जिन लोगों की जमीन लेआउट डेवलपमेंट के लिए ली जाती है, उन्हें 50% साइट्स या वैकल्पिक साइट्स दी जाती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना में कई नियमों को ताक पर रखा गया है। जहां लोगों को उनके हक से अधिक वैकल्पिक साइट्स दी गईं। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ जमीन थी, जिसे MUDA ने अधिग्रहित किया और उन्हें मुआवजे के तौर पर मैसूर के एक प्रमुख क्षेत्र में प्लॉट आवंटित कर दिया।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा- आरोप राजनीति से प्रेरित
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले में खुद को और अपने परिवार को निर्दोष बताते हुए बीजेपी और जेडीएस पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है। हाल ही में एक सरकारी जांच ने साइट्स के आवंटन में अनियमितताओं की आशंका जताई है और इस मामले में शिकायतें मिली हैं कि साइट्स को प्रभावशाली लोगों और रियल एस्टेट एजेंट्स को आवंटित किया गया है।